For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहर - 2122 2122 2122 212

जिंदगी में फिर मुझे बचपन मेरा हँसता मिला ......
जब हुआ बटवारा तो माँ का मुझे कमरा मिला ........

आज़माये थे बहुत पर शख्स हर झूठा मिला ,
तेरे रूप में यार मुझको एक आईना मिला .......

राह में मैंने लिखा देखा था जिस पत्थर पे माँ ......
लौट कर आया तो इक बच्चा वहाँ सोता मिला ......


बुझ गये थे दीप सारे प्यार के उस बस्ती में
दर्द का इक दीप मुझको फिर वहाँ जलता मिला .......


जी रही थी वो फ़क़त सच्ची मुहब्बत के लिए ,
पर उसे जो भी मिला वो ज़िस्म का प्यासा मिला ........


यूँ तो वो मेरी ग़ज़ल पर " वाह " करता था नहीं
पर वो तन्हाई में फिर मेरी ग़ज़ल कहता मिला .......

Views: 777

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Ashery on January 14, 2018 at 10:07am

अति सुंदर रचना के लिए आपको सहृदय बधाई स्वीकार  हो 

Comment by पंकजोम " प्रेम " on December 17, 2017 at 9:15pm

बेहद शुक्रगुज़ार हूँ आपके आशिर्वाद का .... आ0 दादा gajendra जी .... आ0 दादा अजय तिवारी जी .... आ0 दादा shaikh उस्मानी जी ..... सलामत रहिये ..... ख़ुश रहिये ..... स्वस्थ रहिये ......

Comment by Gajendra shrotriya on December 8, 2017 at 12:08am

 बहुुुत उम्दा खयाल  बुने हेै आ० पंकजोम जी । बहुुुत बधाई आपकाो  इस ग़ज़ल के 

लिए।

Comment by Ajay Tiwari on December 7, 2017 at 2:00pm

आदरणीय पंकज जी,

ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाईयाँ.

'यूँ तो वो मेरी ग़ज़ल पर " वाह " करता था नहीं' की जगह  'यूँ कभी मेरी ग़ज़ल पर दाद उसने दी न थी' भी एक संभावित मिसरा हो सकता है.

सादर 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 4, 2017 at 9:32pm

बहुत ही विचारोत्तेजक ग़ज़ल सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब पंकजोम ' प्रेम' साहिब।

Comment by पंकजोम " प्रेम " on December 4, 2017 at 3:44pm

बेहद शुक्रगुज़ार हूँ आपके आशिर्वाद का आ0 afroz shar जी ....

Comment by पंकजोम " प्रेम " on December 4, 2017 at 3:43pm

बेहद शुक्रगुज़ार हूँ आपके आशिर्वाद का आ0 दादा मनोज जी .... आ0 दादा dr पवन जी ....

Comment by पंकजोम " प्रेम " on December 4, 2017 at 3:24pm
बेहद शुक्रगुज़ार हूँ आपके आशिर्वाद का आ0 दादा samar kabber जी ..... आ0 भाई सुरेन्द्र जी ....
Comment by पंकजोम " प्रेम " on December 4, 2017 at 3:23pm
बेहद शुक्रगुज़ार हूँ , आपके आशिर्वाद का आदरणीय दादा mohammad arif जी ...
Comment by Samar kabeer on December 4, 2017 at 3:15pm
जनाब पंक्जोम'प्रेम' साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
कुछ बातें आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा :-

मतले का ऊला मिसरा अगर यूँ कर लें तो मफ़हूम बिल्कुल साफ़ हो जाएगा :-
'ज़िन्दगी में फिर वहाँ बचपन मेरा हँसता मिला'

'आज़माए थे बहुत पर शख़्स हर झूठा मिला
तेरे रूप में यार मुझको एक आईना मिला'
इस मतले के ऊला मिसरे में शिल्प कमज़ोर है, और सानी मिसरा लय में नहीं है,इस मतले को यूँ किया जा सकता है:-
'आज़माया जब कभी,हर आदमी झूठा मिला
रूप में ऐ दोस्त तेरे मुझको आइना मिला'

'बुझ गए थे दीप सारे प्यार के उस बस्ती में'
इस मिसरे को यूँ कर लें तो गेयता बहतर हो जाएगी :-
'बुझ गए थे दीप उस बस्ती में सारे प्यार के'

'यूँ तो वो मेरी ग़ज़ल पर वाह करता था नहीं
पर वो तन्हाई में फिर मेरी ग़ज़ल कहता मिला'
इस शैर में शिल्प कमज़ोर है, इसे यूँ कर सकते हैं :-
'यूँ तो वो मेरी ग़ज़ल पर वाह करता ही न था
पर वो तन्हाई में फिर मेरी ग़ज़ल पढ़ता मिला'

बाक़ी शुभ शुभ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service