For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222 1222 1222 1222

हमारे ग़म का उसको क्या कभी अंदाज होता है।
हमारी राह में कांटे जो वो हरबार बोता है।

कभी रूठे अगर जो हम तो ये भी याद रखना तू,
न फिर पायेगा हमको तू अगर इस बार खोता है।

बता इस ग़म का तुझपर क्यों नहीं कोई असर होता,
तू हर दम मुस्कुराता है हमारा दिल जो रोता है।

झमेले ज़िन्दगी के मुश्किलों से झेलते हैं हम,
अकेले जूझते हैं हम उधर उधर वो खूब सोता है।

अजब अपनी कहानी है रहे हैं हम निथरते ही,
बरसती आँख का सावन बहुत 'मन' को भिगोता है।

मंजूषा मन
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 777

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मंजूषा 'मन' on August 28, 2017 at 3:30pm
बहुत बहुत शुक्रिया महेंद्र जी... आपकी इस्लाह पर विचार कर ग़ज़ल को बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे
Comment by मंजूषा 'मन' on August 28, 2017 at 3:28pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नरेन्द्र जी
Comment by मंजूषा 'मन' on August 28, 2017 at 1:42pm
बहुत बहुत शूक्रिया आदरणीय गिरिराज जी
Comment by मंजूषा 'मन' on August 28, 2017 at 1:41pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी
Comment by Mahendra Kumar on August 26, 2017 at 8:38pm

आ. मंजूषा जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. मेरे हिसाब से चौथे शेर के सानी मिसरे और बेहतर करने की आवश्यकता है. सादर.

Comment by narendrasinh chauhan on August 24, 2017 at 6:17pm

खूबसूरत गज़ल के लिये हार्दिक बधाइयाँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 24, 2017 at 9:10am

आदरणीया मंजूषा जी , खूबसूरत गज़ल के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by नाथ सोनांचली on August 24, 2017 at 5:51am
आद0 मंजूषा जी सादर अभिवादन, बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दाद के साथ मुबारकबाद कबूल फरमायें
Comment by मंजूषा 'मन' on August 23, 2017 at 9:35pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ0 रवि जी...
Comment by मंजूषा 'मन' on August 23, 2017 at 9:33pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ0 मोहित जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
55 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
5 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। कई…"
6 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मिथिलेश जी, इतना ही कहूँ,   ... ' पहचान पता न चले। बस। ' रहस्य - रोमांच…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय उस्मानी जी, लघुकथा की मार्मिकता की परख हेतु आपका दिली आभार। "
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service