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जीवन के तीन कर्त्तव्य

कर्तव्य प्रथम इस जीवन का है ,

मात -पिता की सेवा करना। 

आशीर्वाद उन्हीं का लेकर ,

जीवन पथ पर आगे बढ़ना।।

कर्तव्य दूसरा जगती पर है ,

मानवता की रक्षा करना। 

दया धर्म का भाव सदा ही ,

अपने से छोटों पर रखना।।

कर्तव्य तीसरा यही हमारा ,

देश धर्म के लिये ही जीना। 

बलिदानों के पथ पर बढ़कर ,

मातृ -भूमि की सेवा करना।।

"मौलिक व अप्रकाशित "

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Comment by नाथ सोनांचली on July 9, 2017 at 7:48pm
आद0 चौथमल जी सादर अभिवादन। अच्छी शिक्षाप्रद रचना पर बधाई
Comment by Samar kabeer on July 8, 2017 at 6:49pm
जनाब चौथमल जैन साहिब आदाब,अच्छी शिक्षा देती अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on July 8, 2017 at 7:40am
आदरणीय चौथमल जी आदब, सीख देती, सहज भाव की रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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