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ओबीओ की सातवीं सालगिरह का तोहफ़ा

फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
(एक शैर में तक़ाबुल-ए-रदीफ़ नज़र अंदाज़ कर दें)


जो कहूँ जो लिखूँ ओबीओ के लिये
यूँ समर्पित रहूँ ओबीओ के लिये

माँगता हूँ यही आजकल मैं दुआ
जब तलक भी जियूँ ओबीओ के लिये

वक़्त इसके लिये कुछ निकालो ज़रा
ये गुज़ारिश करूँ ओबीओ के लिये

दूसरा काम कोई नहीं है मुझे
जब रुकूँ ,जब चलूँ ओबीओ के लिये

आप आऐं हमारे परिवार में
जो मिले ये कहूँ ओबीओ के लिये

अब ग़ज़ल या कथा ही नहीं दोस्तो
छन्द भी मैं लिखूँ ओबीओ के लिये

ज़िक्र इसका रहे हर ज़बाँ पर "समर"
काम ऐसे करूँ ओबीओ के लिये

समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by Mohammed Arif on April 1, 2017 at 5:30pm
आदरणीय समर कबीर साहब आदाब,क्या ख़ूब अशआर ओबीओ के प्रति अभिव्यक्त किए हैं । संपूर्ण ओबीओ क़लमकर्मी परिवार की ओर से आपका आभार और ढेरों शुभकामनाएँ ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 1, 2017 at 4:53pm
साथ सब हैं मेरे भाग्य अच्छा मेरा
मैं भी आगे बढूँ ओबीओ के लिए।

साल है आठवाँ अब शुरू हो रहा
हो मुबारक कहूँ ओबीओ के लिए।

हार्दिक बधाई एवं अशेष शुभकामनाएँ आदरणीय समर कबीर जी!सादर नमन!
जिंदाबाद ओबीओ!
Comment by Gurpreet Singh jammu on April 1, 2017 at 3:16pm
वाह आदरणीय समर कबीर सर ओ बी ओ की सातवीं सालगिरह पर क्या खूब तोहफ़ा है..इस मंच के प्रति आपका जो समर्पण है..उसका कोई जवाब नहीं..दुआ है की ओ बी ओ ऐसे ही हर साल अपनी सालगिरह मनाता रहे

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