For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रतिशोध - लघुकथा –

 प्रतिशोध  -   लघुकथा –

 "मोहन बाबू, पूरा मोहल्ला बाहर होली खेल रहा है। आप सारे परिवार के साथ घर में ही  हैं"।

" सुखराम जी, हम लोग होली नहीं खेलते"।

"कोई खास कारण"?

"हाँ, कुछ ऐसा ही समझ लीजिये"।

"अगर बुरा ना लगे तो क्या मैं जान सकता हूँ"?

"पूरा मोहल्ला जानता है, आप भी जान जाओगे, अभी नये नये आये हो"।

"क्या आप को बताने में ऐतराज़ है"?

"ऐसी तो कोई बात नहीं है, आइये"।

दोनों पड़ोसी बैठ गये।

"सुखराम जी मेरी तीन बेटियाँ थीं। सबसे बड़ी पल्लवी  बी एड कर रही थी। मोहल्ले का एक लड़का उसे तंग करता था। उसके माँ बाप से बात की ,कोई हल नहीं निकला। उसकी शैतानियाँ और बढ़ गयीं।

आखिरकार हम थाने चले गये। उन्होंने भी कोई सख्त कदम नहीं उठाया। उससे एक माफ़ीनामा लिखवा कर चेतावनी देकर भगा दिया।

उसी साल होली पर हम सब घर के बाहर बैठे थे। तभी रंगों से सराबोर, चेहरे पुते हुए, कुछ लड़कों का झुंड आया। सभी को रंग और गुलाल लगाने लगे। भीड़ भाड़ में एक लड़के ने पल्लवी के चेहरे पर तेज़ाब डाल दिया। वह चीखने लगी। हम लोग उसे संभालने लगे ,इसी बीच मौका पाकर लड़के भाग गये। पल्लवी का लंबा इलाज़ चला। उसकी एक आँख चली गयी। पूरा चेहरा बिगड़ गया। उसी लड़के के नाम से पुलिस केस हुआ, लेकिन सब बेकार। बिना चश्मदीद गवाह वह  छूट गया।

एक दिन पल्लवी अस्पताल से आ रही थी तो उसको फ़िर धमकी दे गया कि अब तेरी बहिनों का भी यही हाल करूंगा। हमने फ़िर थाने जाने का सोचा पर पल्लवी ने नहीं जाने दिया। उसने कहा कि अब उसका इलाज़ वह खुद ही करेगी| उसके मन में क्या चल रहा था हम नहीं जान पाये।

 कुछ समय बाद होलिका दहन वाले दिन पल्लवी होली देखने  घर से निकल गयी। वह हमेशा मुँह पर कपड़ा बांध कर रहती थी| वह लड़का भी वहीं होली के पास शराब के नशे में धुत्त बैठा था। पल्लवी ने पता नहीं किससे एक बोतल शराब मंगाली। पल्लवी  ने  पूरी बोतल शराब उसके ऊपर उड़ेल दी। वह हड़बड़ाकर जैसे ही उठने लगा,  पल्लवी  उसे बाँहों में भर कर होलिका दहन में गिर  पड़ी। उस लड़के की दर्दनाक़ चीखों तथा पल्लवी के अट्टहासों से सारा प्रांगण गूंज उठा"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 953

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on October 3, 2017 at 5:57pm

हार्दिक आभार आदरणीय उमा विश्वकर्मा  जी।

Comment by Uma Vishwakarma on September 11, 2017 at 12:16pm

बधाई हो तेज वीर सिंह जी, हक़ीकत के क़रीब लघुकथा बहुत ही मार्मिक है | किंतु ये विषय ऐसी मानसिकता का है, जो हमारे सभ्य समाज के लिए अभिशाप बनता जा रही है | कुछ दिन का सोर, फिर शांति -------? 

Comment by TEJ VEER SINGH on March 15, 2017 at 3:14pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 15, 2017 at 3:13pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम जी।

Comment by Samar kabeer on March 14, 2017 at 6:08pm
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत अच्छी लगी ये लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करे ।
Comment by Neelam Upadhyaya on March 14, 2017 at 4:31pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार । मै अदरणीय आरिफ जी के कथन से पूरी तरह सहमत हूँ ।   हमारे क़ानून इतने सख़्त नहीं हैं जिसका फायदा उठाकर तेज़ाब हमले के अपराधी छूट जाते हैं । इसलिए लड़कियों को खुलकर सामने आने की आवश्यकता है । उन्हें स्वयं आत्म हत्या जैसा क़दम न उठाकर आत्म रक्षा के गुर सीखना चाहिए और अपराधियों को दंड दिलाने के लिए तत्पर होना चाहिए । बहुत अच्छी लघुकथा ।  बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 14, 2017 at 11:31am

हार्दिक आभार आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी।आपको भी होली की बधाई एवम शुभ कामनायें।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 14, 2017 at 11:22am

हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब जी।आपकी बात से सौ प्रतिशत सहमत हूं।इंसान आत्म हत्या जैसा कदम उसी सूरत में उठाता है जब उसे सारे रास्ते बन्द मिलते हैं।आपको भी होली की बधाई एवम शुभ कामनायें।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 14, 2017 at 11:19am
अति सूंदर रचना हार्दिक बधाई स्वीकार करें
Comment by Mohammed Arif on March 13, 2017 at 9:45pm
आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,आज तक निर्भया कांड के दर्दान्त अपराधियों को हम मौत के घाट नहीं उतार पाएँ, हमारे क़ानून भी इतने सख़्त नहीं हैं, कईं तेज़ाब लड़कियों पर डालने वाले अपराधी भी छूट चुके हैं । आज आवश्यकता है लड़कियों को खुलकर सामने आने की । उन्हें स्वयं आत्म हत्या जैसा क़दम न उठाकर अपराधियों को दंड दिलाना होगा । अच्छी लघुकथा , बधाई और होली पर्व की शुभ-कामनाएँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service