For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आखिर
२१२/२१२/२१२/२

रहनुमाई की बरसात है क्या।
फिर चुनाओं के हालात हैं क्या।

झुठ भी बोलो अगर तो सही है,
ये सियासत के शहरात है क्या।

शह्र मे आग है फिर पुरानी ,
दंगो से फिर ये हालात है क्या।

चीखें फिर से सुनाई दे कोई,
बहनों के लूटे अस्मात है क्या।

लोग कितने मजे से यहाँ हैं,
शह्र के ये हवालात हैं क्या।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 639

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hemant kumar on March 2, 2017 at 5:19pm
परम आदरणीय शुक्ला जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
सादर....
Comment by Ravi Shukla on March 2, 2017 at 3:37pm

आदरणीय हेमंत जी  शिज्‍जु भाई ने स्‍प्‍ष्‍ट कर दिया है काफिया बहुवचन में होने के कारण हैं सही शब्‍द होगा रदीफ का । हमारे कहने का आशय यही है । सादर

Comment by Hemant kumar on March 1, 2017 at 1:02pm
परम आदरणीय शिज्जु शकूर जी इस तरह समझाने के लिए दिली शुक्रिया कबुल करें।कृपया-
हालात ,अस्मात,शहरात शब्दों पर भी प्रकाश डालें ताकि मै इन शब्दो को बदल या सुधार सकूँ और बेहतर ग़ज़ल हो सके।
सादर.....

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 1, 2017 at 11:09am

आ. हेमंत कुमार जी प्रयास अच्छा है शेष आ. रवि शुक्ल जी ने बता ही दिया है। उनके कहने का आशय यह है कि आपकी ग़ज़ल में ज्यादातर काफिए बहुवचन में हैं इसलिए रदीफ में है को हैं से प्रतिस्थापित कर दुबारा ग़ज़ल कही जाए तो ग़ज़ल बेहतर हो जाएगी क्योंकि है।

Comment by Hemant kumar on February 28, 2017 at 8:16pm
परम वन्दनीय श्री शुक्ला जी आपने मुझ जैसे नवजात के लिए समय निकाला ये मेरे लिए परम सौभाग्य से कम नही !
मुझे आपने जो सुझाव दिया है, अर्थ ग्रहण मे कठिनाई हो रही है-
रहनुमाई की बरसात है (को-हैं करने से है क्या)क्या
हमारे भाटापारा छत्तीसगढ़ मे बस स्टेंड में एक पंक्चर वाले भैया की दुकान है और वो मुसलमान है (बिहार से), मैने उनसे ही शहरात, हालात,अस्मात ,हवालात जैसे शब्दों के अर्थ पूछ लिए थे।सादर....
क्या आपका सारगर्भित अर्थ यह था कि रदीफ मे है को सुधारकर हैं कर लिया जाय या इसका कोई अन्य मतलब था ।
एक बार पुनः प्रकाश डालें ये अमृत वर्षा से कम नही होगी! और मै जी उठूंगा.....
Comment by Ravi Shukla on February 28, 2017 at 10:56am

आदरणीय हेमंत जी गजल कहने का अच्‍छा प्रयास हुआ है इसके लिये दिली बधाई हाजिर है

रहनुमाई की बरसात है क्या।
फिर चुनाओं के हालात हैं क्या। इस मिसरे में चुनावों शब्‍द के अनुसार  हालात ( बहुवचन है और ) हैं क्‍या  होगा और आपका रदीफ बदल जाएगा एक वचन और बहुवचन का ध्‍यान रखना होगा

झुठ भी बोलो अगर तो सही है,
ये सियासत के शहरात है क्या। शहरात का अर्थ नहीं समझ पाएं हम यहा भी बहुवचन होने से हैं क्‍या होगा रदीफ बदल जाएगा

शह्र मे आग है फिर पुरानी ,
दंगो से फिर ये हालात है क्या। हालात हैं क्‍या  रदीफ बदल गया

चीखें फिर से सुनाई दे कोई,
बहनों के लूटे अस्मात है क्या। अस्‍मात लफ्ज पर संशय है हो सकता है आप सही हैं हमने इस रूप में कभी नहीं पढ़ा

लोग कितने मजे से यहाँ हैं,
शह्र के ये हवालात हैं क्या।

रदीफ में हैं क्‍या अधिकतर मिसरों में है इसलिये मतले के उला मिसरे में आप रदीफ को हैं क्‍या कर के इसको सुधार सकते है । बाकी शुभ शुभ । सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
4 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service