बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आखिर
२१२/२१२/२१२/२
रहनुमाई की बरसात है क्या।
फिर चुनाओं के हालात हैं क्या।
झुठ भी बोलो अगर तो सही है,
ये सियासत के शहरात है क्या।
शह्र मे आग है फिर पुरानी ,
दंगो से फिर ये हालात है क्या।
चीखें फिर से सुनाई दे कोई,
बहनों के लूटे अस्मात है क्या।
लोग कितने मजे से यहाँ हैं,
शह्र के ये हवालात हैं क्या।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय हेमंत जी शिज्जु भाई ने स्प्ष्ट कर दिया है काफिया बहुवचन में होने के कारण हैं सही शब्द होगा रदीफ का । हमारे कहने का आशय यही है । सादर
आ. हेमंत कुमार जी प्रयास अच्छा है शेष आ. रवि शुक्ल जी ने बता ही दिया है। उनके कहने का आशय यह है कि आपकी ग़ज़ल में ज्यादातर काफिए बहुवचन में हैं इसलिए रदीफ में है को हैं से प्रतिस्थापित कर दुबारा ग़ज़ल कही जाए तो ग़ज़ल बेहतर हो जाएगी क्योंकि है।
आदरणीय हेमंत जी गजल कहने का अच्छा प्रयास हुआ है इसके लिये दिली बधाई हाजिर है
रहनुमाई की बरसात है क्या।
फिर चुनाओं के हालात हैं क्या। इस मिसरे में चुनावों शब्द के अनुसार हालात ( बहुवचन है और ) हैं क्या होगा और आपका रदीफ बदल जाएगा एक वचन और बहुवचन का ध्यान रखना होगा
झुठ भी बोलो अगर तो सही है,
ये सियासत के शहरात है क्या। शहरात का अर्थ नहीं समझ पाएं हम यहा भी बहुवचन होने से हैं क्या होगा रदीफ बदल जाएगा
शह्र मे आग है फिर पुरानी ,
दंगो से फिर ये हालात है क्या। हालात हैं क्या रदीफ बदल गया
चीखें फिर से सुनाई दे कोई,
बहनों के लूटे अस्मात है क्या। अस्मात लफ्ज पर संशय है हो सकता है आप सही हैं हमने इस रूप में कभी नहीं पढ़ा
लोग कितने मजे से यहाँ हैं,
शह्र के ये हवालात हैं क्या।
रदीफ में हैं क्या अधिकतर मिसरों में है इसलिये मतले के उला मिसरे में आप रदीफ को हैं क्या कर के इसको सुधार सकते है । बाकी शुभ शुभ । सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online