For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कब ख़ुद को मुख्तार करोगे

22/22/22/22

तूफाँ से गर प्यार करोगे,
बाहों को पतवार करोगे।

अब कर दो इज्हार-ए-मुहब्बत,
कब तक छुप छुप प्यार करोगे।

छोड़ोगे कब हुक़्म बजाना,
कब ख़ुद को मुख्तार करोगे।

पेश आएंगे सभी अदब में,
जब खुद शिष्ट आचार करोगे।

दरिया पार तभी होगा जब,
ज़र्फ़ अपना पतवार करोगे।

इश्क़ में' हद से' गुज़रने वालों,
तुम ख़ुद को बीमार करोगे।

शाम हुई फैला अँधियारा,
जाने कब इज़्हार* करोगे।
*चराग़ रौशन करना

ग़ज़ल मुक़म्मल तब ही होगी
ग़म को जब अश्आर करोगे।

इश्क़ में' पड़ कर "रोहित" तुम भी,
वक़्त अपना बेकार करोगे।
.
रोहिताश्व मिश्रा
(मौलिक एवम अप्रकाशित)

Views: 729

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रोहिताश्व मिश्रा on February 19, 2017 at 9:13pm
जी सर
हम ने वो बदल दिया
Thankuuuuuu
Comment by रोहिताश्व मिश्रा on February 19, 2017 at 9:12pm
जी सर
बहुत बहुत शुक्रियः

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 19, 2017 at 9:04pm

आदरणीय रोहिताश्व भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है , मुबारकबाद कुबूल कीजिये ।

आपने मिसरा बदल लिया है ... फिर भी जानकारी केलिये बता रहा हूँ --- जब दोनो शब्दों मे  मात्रा रहे तो ऐबे तनाफुर नही  होता -- जैसे

 अश्कों को ...  ये भी सही था ..  ।

Comment by रोहिताश्व मिश्रा on February 19, 2017 at 3:28pm
बहुत बहुत शुक्रियः Mahendra भाइ जी
Comment by Mahendra Kumar on February 19, 2017 at 12:01pm
आदरणीय रोहिताश्व जी, इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए आपको ढेरों बधाई। सादर।
Comment by रोहिताश्व मिश्रा on February 18, 2017 at 9:20am

बहुत बहुत शुक्रियः आशुतोश भाई जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 18, 2017 at 2:25am
आदरणीय रोहिताश्व जी छोटी बहर में शानदार शेरो
की इस ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई सादर
Comment by रोहिताश्व मिश्रा on February 16, 2017 at 7:42pm

बहुत बहुत शुक्रियः आरिफ भाई जी

Thanku....

Comment by रोहिताश्व मिश्रा on February 16, 2017 at 7:40pm

बहुत बहुत शुक्रियः रवि भाई जी

हम उस मिस्रे के बारे में कुछ ओर सोचते हैं

Comment by Mohammed Arif on February 16, 2017 at 5:51pm
आदरणीय रोहिताश्व जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल करें । बह्र के बारे में गुणीजन राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
15 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
18 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service