For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (प्यास दिल की न यूँ बढ़ाओ तुम)

ग़ज़ल (प्यास दिल की न यूँ बढ़ाओ तुम)

2122 1212 22,


प्यास दिल की न यूँ बढ़ाओ तुम,
जान ले लो न पर सताओ तुम।

पास आ के जरा सा बैठो तो,
फिर गले चाहे ना लगाओ तुम।

दिल को समझाना है बड़ा मुश्किल,
बेरुखी और ना दिखाओ तुम।

गिर गया हूँ मैं खुद की नज़रों से,
और नज़रों से मत गिराओ तुम।

चोट खाई बहुत जमाने से,
यूँ बहाने न फिर बनाओ तुम।

मिल सका वो न जिस को भी चाहा,
अनबुझी प्यास को बुझाओ तुम।

इल्तिज़ा ये 'नमन' की आखिर है,
अब तो उजड़ा चमन बसाओ तुम।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 849

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2017 at 11:38pm

आपकी ग़ज़ल के सापेक्ष प्रस्तुत हुई टिप्पणियाँ एक दफ़ा फिर से मूलभूत की बातें कररही हैं. चर्चा का स्वागत है. 

//हिन्दी छंदों में तो ना के प्रयोग पर लोगबाग आपत्ति करते हैं पर ग़ज़लों और शायरी तथा फिल्मी गीतों में तो ना का प्रयोग धड़ल्ले से होता आया है और हो रहा है। //

उल्टी बात कर गये आदरणीय. किस छंदशास्त्री ने ना और न को लेकर मग़ज़मारी की है ? 

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on February 16, 2017 at 7:07pm
आदरणीय रवि शुक्ला जी और समर साहिब आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आगे से मैं इस विषय में यथासम्भव ध्यान रखूंगा।
Comment by Samar kabeer on February 16, 2017 at 6:09pm
जनाब बासुदेव जी आदाब,न और ना के बारे में जनाब रवि शुक्ल जी ने जो भी जानकारी दी है वो बिल्कुल दुरुस्त है, उस पर ध्यान दीजिये, रवि जी ने बहुत तफ़्सील से बात समझाई है ।
Comment by Ravi Shukla on February 16, 2017 at 2:54pm

आदरणीय वासुदेव जी  आपकी बात सही है उर्दू में भी कई शब्‍द ना उपसर्ग के इस्‍ते माल से बने है जैसे नाकामयाब नाकर्दा नामहरम नामुराद नागवार आदि कई है पर जहां न अकेला इस्‍ते माल है वहां न ही कहने का अरूज में कहा गया है  हालांकि गालिब ने कई जगह न की जगह द्विमा‍त्रिक ने का इस्‍ते माल किया है पर आज कल कोई इस ने का प्रयोग सुखन में नहीं करता । हमने अरूज के अनसार ही बात की है बाेल चाल में ना स्‍वीकार है और बोला भी जाता है ।

नियम भी तो इंसान ने बनाये है वे भी समय समय पर बदलते रहते है । जिसे जनमानस स्‍वीकार कर लेगा वो नियम बन जाएगा ।

जिस तरह तकाबुले रदीफ दोष अरूज के अनुसार है पर बाज शाइर अपने कथन से समझौता नहीं करते और इसे नहीं मानते । किसी बड़े शाइर के तकाबुले रदीफ के दोष का या अन्‍रू किसी ऐब का उदाहरण देकर हम अरूज को नकार तो नहीं सकते ।

कहने का आशय यह है कि हमें अरूज के नियमो की जानकारी होनी चाहिये और जहां तक हो सके उसका पालन करना चाहिये । उसके बाद शाइर की मर्जी है वो कितना और कैसे लेते है अरूज और अपनी रचना को । सादर

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on February 16, 2017 at 12:33pm
आ0 रवि शुक्ला जी आपके सुझाव सर आँखों पर। हिन्दी छंदों में तो ना के प्रयोग पर लोगबाग आपत्ति करते हैं पर ग़ज़लों और शायरी तथा फिल्मी गीतों में तो ना का प्रयोग धड़ल्ले से होता आया है और हो रहा है। शब्दकोशों के अनुसार तथा प्रयोग के अनुसार जब ना सर्वमान्य नकारात्मक शब्द है तो काव्य में इसे अछूत क्यों माना जा रहा है। इस पर विद्वजनों विशेषकर समर साहिब की प्रतिक्रिया की अपेक्षा रहेगी।
Comment by रामबली गुप्ता on February 16, 2017 at 12:32pm
आद0 भाई वासुदेव अग्रवाल जी अच्छी ग़ज़ल हुई है दिल से बधाई लीजिये। आद0 गुरुदेव रवि शुक्ल जी की बातों पर ध्यान दीजियेगा।सादर
Comment by Ravi Shukla on February 16, 2017 at 12:03pm

आदरणीय वासुदेव जी बढि़या गजल कही आपने बधाई हाजिर है । दूसरे शेर के सानी में ना लफ्ज लिया है आपने जबकि गजल में न इस्‍तेमाल होता है जिसका वज्‍न 1 है तीसरे शेर में भी ना का इस्‍तेमाल है

आपके मिसरे को

ना मिला दिल ने जिस को भी चाहा  में बहर के अनुसार पहले ना को एक मात्रिक न करने से भी सही हो सकता है इसमें बहर के अनुसार

2122 को 1122 किया जाने की छूट है

वैसे आपके ही भाव को रखे तो  दिल ने चाहा जिसे मिला न मुझे  या फिर जिसको चाहा नहीं मिला मुझको भी करने के विकल्‍प है आपको जैसा उचित लगें कर सकते है । सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 15, 2017 at 5:43pm
आदरणीय नमन जी इस सूंदर ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई ना और न पर कभी कुछ चर्चा इस मंच पर हुयी थी ठीक से ध्यान नहीं है आपकी प्रतिक्रिया पर इसे इसलिए कर रहा हीं ताकि विद्वतजनों की राय मिल सजे
Comment by Samar kabeer on February 15, 2017 at 10:37am
ये मिसरा ठीक है ।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on February 15, 2017 at 10:04am
आ0 समर साहिब आपसे ग़ज़ल को सराहना मिली मेरा लिखना सार्थक हुआ।
ऊला मिसरे को इस प्रकार लिखने से कैसा रहेगा सर।

ना मिला दिल ने जिस को भी चाहा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
16 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service