Comment
आपकी ग़ज़ल के सापेक्ष प्रस्तुत हुई टिप्पणियाँ एक दफ़ा फिर से मूलभूत की बातें कररही हैं. चर्चा का स्वागत है.
//हिन्दी छंदों में तो ना के प्रयोग पर लोगबाग आपत्ति करते हैं पर ग़ज़लों और शायरी तथा फिल्मी गीतों में तो ना का प्रयोग धड़ल्ले से होता आया है और हो रहा है। //
उल्टी बात कर गये आदरणीय. किस छंदशास्त्री ने ना और न को लेकर मग़ज़मारी की है ?
आदरणीय वासुदेव जी आपकी बात सही है उर्दू में भी कई शब्द ना उपसर्ग के इस्ते माल से बने है जैसे नाकामयाब नाकर्दा नामहरम नामुराद नागवार आदि कई है पर जहां न अकेला इस्ते माल है वहां न ही कहने का अरूज में कहा गया है हालांकि गालिब ने कई जगह न की जगह द्विमात्रिक ने का इस्ते माल किया है पर आज कल कोई इस ने का प्रयोग सुखन में नहीं करता । हमने अरूज के अनसार ही बात की है बाेल चाल में ना स्वीकार है और बोला भी जाता है ।
नियम भी तो इंसान ने बनाये है वे भी समय समय पर बदलते रहते है । जिसे जनमानस स्वीकार कर लेगा वो नियम बन जाएगा ।
जिस तरह तकाबुले रदीफ दोष अरूज के अनुसार है पर बाज शाइर अपने कथन से समझौता नहीं करते और इसे नहीं मानते । किसी बड़े शाइर के तकाबुले रदीफ के दोष का या अन्रू किसी ऐब का उदाहरण देकर हम अरूज को नकार तो नहीं सकते ।
कहने का आशय यह है कि हमें अरूज के नियमो की जानकारी होनी चाहिये और जहां तक हो सके उसका पालन करना चाहिये । उसके बाद शाइर की मर्जी है वो कितना और कैसे लेते है अरूज और अपनी रचना को । सादर
आदरणीय वासुदेव जी बढि़या गजल कही आपने बधाई हाजिर है । दूसरे शेर के सानी में ना लफ्ज लिया है आपने जबकि गजल में न इस्तेमाल होता है जिसका वज्न 1 है तीसरे शेर में भी ना का इस्तेमाल है
आपके मिसरे को
ना मिला दिल ने जिस को भी चाहा में बहर के अनुसार पहले ना को एक मात्रिक न करने से भी सही हो सकता है इसमें बहर के अनुसार
2122 को 1122 किया जाने की छूट है
वैसे आपके ही भाव को रखे तो दिल ने चाहा जिसे मिला न मुझे या फिर जिसको चाहा नहीं मिला मुझको भी करने के विकल्प है आपको जैसा उचित लगें कर सकते है । सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online