For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाइकू (आरिफ मोहम्मद)

1.

सौंधी महक
मिट्टी पड़ी गिरवी
विदेशी चाल ।

2.

बाज़ार भाव
रोज़ की घट-बढ़
है सोची चाल ।
3.

होली दस्तक
अब रंगों में हिंसा
फैला तनाव ।

4.

नंगा बदन
फैशन का कमाल
धन की लूट ।

5.

कहाँ को जाएँ
लूटी हुई है शांति
दिशा बेहाल ।

.
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 595

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on February 6, 2017 at 5:34pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, तहेदिल से आपका आभार व्यक्त करता हूँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2017 at 1:05pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी, बहुत बढ़िया हाइकू लिखे आपने, इस प्रस्तुति हेतु दिल से बधाई स्वीकार करें. सादर 

Comment by Mohammed Arif on February 6, 2017 at 8:43am
आदरणीय तस्दीक़ अहमद साहब आपका बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on February 6, 2017 at 8:41am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय सौरभ पांडे जी । आपकी प्रतिक्रिया से संबल मिला ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2017 at 10:38pm

हाइकू पर आप द्वारा हुआ प्रयास आश्वस्त कर रहा है आदरणीय. हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाइयाँ 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 5, 2017 at 9:48pm

मुहतरम जनाब आरिफ़      साहिब  ,बहुत ही सुंदर हाइकू हुए  है , मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ -

Comment by Mohammed Arif on February 5, 2017 at 7:33am
बहुत-बहुत आभार आली जनाब समर कबीर साहब ।
Comment by Samar kabeer on February 4, 2017 at 7:34pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,बहुत उम्दा हाइकू लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on February 3, 2017 at 4:40pm
बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहब ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 3, 2017 at 4:30pm
बेहतरीन गंभीर व्यापक भावपूर्ण सृजन हेतु हार्दिक मुबारक़बाद मोहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ साहब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
2 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
10 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
22 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service