For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सरसी छन्द :
शिल्प :16,11 मात्राएँ चरणान्त गुरु+लघु
****************************
प्रसंग : "धनुष यज्ञ" रामचरित मानस
****************************

सुनें जनक के वचन लखन नें,उमड़ पड़ा आक्रोश ।।

दहल उठी थीं दसों दिशायें,देख लखन का जोश ।।
लगता ज्वालामुखी खड़ा हो,भरे हृदय में रोष ।।
या फ़िर जैसॆ प्रलय सामने,खड़ा हुआ ख़ामोश ।।

काँप उठी थी सभा समूची,नत भूपॊं की दृष्टि ।।
लगता सम्मुख खड़ा शेष अब,खा जाएगा सृष्टि ।।
भृकुटि तनीं भुजदण्ड फड़कते,रक्त वर्ण थे नैन ।।
मानों दो - दो दिव्य दिवाकर,प्रलय हेतु बेचैन ।।

रघुपति नें यह दृश्य देख कर,किया मौन संकेत ।।
पास लखन को बिठा लिया फिर,बोले कृपानिकेत ।।
शान्त चित्त सॆ अनुज सुनो यूँ,,उचित नहीं है क्रोध ।।
क्रोध बुद्धि का मारक होता,करता पथ अवरोध ।।

रघुवंश हमें सिखलाता है,रखना कुल की आन ।।
मान उसे ही मिलता जग में,जो करता सम्मान ।।
व्याकुल होना नहीं क्रोध में,रखना इतना ध्यान ।।
सदा क्रोध में होता लक्ष्मण,अपना ही नुकसान ।।

इक बेटी का बाप जनक है,हालत लीजे भाँप ।।
अंतर्द्वंद मचा है मन में,हृदय लोटता साँप ।।
एक ओर है क्वांरी बेटी,एक ओर प्रण आन ।।
सुता प्रेम के वशीभूत हो,दिया स्वयंवर ठान ।।

हम रखवारे ऋषि आश्रम के,लाये मुनिवर मांग ।।
फिर कैसे उनकी सुचिता पर,लग जानें दें दाग ।।
इसीलिये हे अनुज लखन अब,करो क्रोध का त्याग ।।
सहज सरल सुचि भाव भरेंगे,जीवन में अनुराग ।।

गाधि तनय नें अवसर देखा,कहा उठो श्रीराम ।।
धनुष यज्ञ को मिले पूर्णता,सुनिये शोभाधाम ।।
गुरु आज्ञा के पाते रघुवर,खड़े हुए नत शीश ।।
शूर वीर सब देख रहे थे,चिंतित था भुजबीस ।।

पहले नमन किया था शिव को,उठा लिया फिर चाप ।।
लगा भाल से प्रभू राम नें,ली गुरुता भी माप ।।
जैसे खींची डोर राम नें,चाप हुआ दो खण्ड ।।
तीनों तल थे लगे काँपने,गूँजा नाँद प्रचण्ड ।।

बजे नगाड़े ढोल मजीरे,हुई सुमन बरसात ।।
जनकपुरी में खुशियाँ आईं,ले करके बारात ।।
मानस में यह गाथा गाई,गोस्वामी मर्मज्ञ ।।
"राज" समर्पित आप सभी को,शब्द सारथी तज्ञ ।।


डॉ राज बुन्देली
19/12/2016

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 913

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 14, 2017 at 8:12pm
Comment by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' on December 25, 2016 at 12:19am

अति उत्तम..आदरणीय राज बुन्देली जी...

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 22, 2016 at 11:05pm

आदरणीय
सुशील सारना जी बहुत बहुत आभार,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 22, 2016 at 11:05pm

आदरणीय
समर कबीर साहब बहुत बहुत शुक्रिया,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 22, 2016 at 11:04pm

आदरणीय मिथिलेश जी
बहुत बहुत आभार,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 22, 2016 at 11:04pm

आदरणीय महेन्द्र कुमार जी बहुत बहुत ्धन्यवाद,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 22, 2016 at 11:03pm

आदरणीय नमन जी बहुत बहुत आभार,,,,

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on December 22, 2016 at 5:40pm
आ0 राज बुन्देली जी बहुत ही प्यारे भावपूर्ण और ओजपूर्ण छंद लिखे हैं। दिल से बधाई।
Comment by Mahendra Kumar on December 21, 2016 at 11:47am
आदरणीय राज बुन्देली जी, इस बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई प्रेषित है। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 21, 2016 at 12:15am

आदरणीय राज बुन्देली जी, धनुष यज्ञ पर आपने बहुत बढ़िया सरसी छंद पद लिखे है. मुग्ध करती इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
50 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service