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जब बात समझ में आएगी- गीत

देखो तुम भी गुनगुनाओगे जब बात समझ में आएगी
देखो तुम भी मुस्कुराओगे जब बात समझ में आएगी


कोई भी अकेला कैसे करे, इस अंधियारे से सबको दूर  
तुम साथ चले ही आओगे, जब बात समझ में आएगी


गर लक्ष्य बड़ा  हो जीवन में, देनी  पड़ती है क़ुरबानी
खुशियों के दीप जलाओगे, जब बात समझ में आएगी


हर काम सही से हो जाए, क्यूँ  रखते लोगों से उम्मीद
अपने भी फ़र्ज़ निभाओगे, जब बात समझ में आएगी


इस वक़्त अगर ना बन पाए इस तब्दीली का इक हिस्सा 
आगे चलकर  पछताओगे, जब बात  समझ में आएगी


देखो तुम भी गुनगुनाओगे जब बात समझ में आएगी
देखो तुम भी मुस्कुराओगे जब बात समझ में आएगी !!


मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by विनय कुमार on November 22, 2016 at 1:34pm

बहुत बहुत आभार आ गिरिराज भंडारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 22, 2016 at 10:59am

आदरनीय विनय भाई , वर्तमान स्थिति पर बहुत सार्थक गीत रचा है आपने , दिल से बधाइयाँ स्वीकार कीजिये ।

Comment by विनय कुमार on November 21, 2016 at 1:02pm

बहुत बहुत आभार आ प्रतिभा पांडे जी 

Comment by pratibha pande on November 21, 2016 at 10:13am

गर लक्ष्य बड़ा  हो जीवन में, देनी  पड़ती है क़ुरबानी 
खुशियों के दीप जलाओगे, जब बात समझ में आएगी......बहुत सही बात है 

इस  सकारात्मकता  से  भरी रचना पर आपको हार्दिक बधाई  आदरणीय विनय कुमार सिंह जी  



Comment by विनय कुमार on November 19, 2016 at 11:03pm

बहुत बहुत आभार आ आमोद श्रीवास्तव जी 

Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 19, 2016 at 10:21am
वह्ह्ह बहुत खूब भाई जी
सादर बधाई
नमन
Comment by विनय कुमार on November 17, 2016 at 8:08pm

बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब 

Comment by Samar kabeer on November 17, 2016 at 5:02pm
जनाब विनय कुमार सिंह जी आदाब,अच्छा लगा आपका गीत,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

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