For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( अहदे वफ़ा चाहिए )

ग़ज़ल ( अहदे वफ़ा चाहिए )
--------
फऊलन -फऊलन -फऊलन -फअल

न कुछ तुम से इसके सिवा चाहिए ।
हमें सिर्फ़ अहदे वफ़ा चाहिए ।

जो दौलत है ले जाओ तुम भाइयों
मुझे सिर्फ़ माँ की दुआ चाहिए ।

करे ऐब गोई जो हर शख़्स की
उसे दोस्तों आइना चाहिए ।

जो क़ायम करे एकता मुल्क में
हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए ।

कहीं दिल लगाना भी है लाज़मी
अगर दर्दे ग़म का मज़ा चाहिए ।

ज़रूरी है ख़िदमत भी मख़लूक़ की
अगर तुझको साजिद ख़ुदा चाहिए ।

वो तस्दीक़ मुल्के अदम को गया
तुम्हें जिस बशर का पता चाहिए ।

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 1282

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on September 30, 2016 at 3:41pm
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी, खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने। हार्दिक बधाइयाँ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 29, 2016 at 11:16pm

आ तस्दीक अहमद खान साहिब आदाब ,मख़लूक़  का अर्थ क्या मखदूम है ?--जिसका खिदमत की जाय ?  उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 29, 2016 at 7:49pm

जनाब प्रमोद श्रीवास्तव साहिब ,  फऊलन का वज़्न 122  होगा -----शुक्रिया 

Comment by PRAMOD SRIVASTAVA on September 29, 2016 at 12:13am

टिप्पणी केवल सीखने के लिए 

फऊलन वजन मे 1211 या 122 होगा ।122 तो फईलुन होता है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"मेरे अनुभव आपके मुहावरों के गुलाम हों ये ज़रूरी तो नहीं।"
49 minutes ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"बहुत खूब, आदरणीय ... सादर प्रणाम ! बेहद खूबसूरत मक़्ते के साथ एक बेहतरीन प्रस्तुति ! हार्दिक बधाई…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपकी इस बात का कोई अर्थ नहीं निकल रहा। घड़ी भर का फ़र्क़ न मुहावरा है ना कहावत।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मंजुल मयंक जी आदाब, आपको पहली बार पढ़ रहा हूँ, आपसे गुज़ारिश है कि कुछेक दर्जन गुज़िश्ता…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, आपकी ग़ज़ल के अशआर बहुत अच्छे साँचे में ढाले गये हैं मह्ज़ तराशने…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सफलता घड़ी देख कर नहीं जुनून से मिलती है। आंतरप्रेन्योर और नौकर में सिर्फ घड़ी भर का फ़र्क है"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"धन्यवाद"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"//कहा ये मुझ से कई कामयाब लोगों ने न वक़्त देख कभी काम में घड़ी न मिला// //घड़ी मिलाना तो समय का…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"मिलाया लाख ज़माने से अपना जी न मिला   न पहली बार मिला और फिर कभी न मिला.... वाह क्या बात…"
3 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सादर नमन sir जी 🙏धन्यवाद आपका 🙏मैं सुधार करता हूँ 🙏"
3 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदाब भैया जी धन्यवाद आपका 🙏😊🙏"
3 hours ago
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"जिससे मिलने की आस थी, वही न मिला।हमेशा पास रहा पर कहीं कभी न मिला।।1।। वो एक धोखा है शायद, खुशी की…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service