For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : मेरी ग़ज़लों का मंज़र

मेरी ग़ज़लों का मंज़र खुरदुरा है,
शज़र उम्म्मीद का लेकिन हरा है।

बढ़ाओ हाथ हम आज़ाद होंगे,
कलम भी जोश से देखो भरा है।

हमारे शेर में हैं अर्थ कितने,
बज़ाहिर दिख रहा जो इकहरा है।

चटानो को नहीं छूना कि मौसम,
हिदायत दे गया सब भुरभुरा है।

ग़ज़ल पढ़ना सुनाना ठीक है पर,
अगर गाने लगे तो सुर बुरा है।

निरुत्तर कर दिया मुझको ख़ुशी ने,
ग़मो को देख कर मुझ पर मरा है।


मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 526

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Shukla on September 5, 2016 at 5:29am
आदरणीय कल्पना जी समादरणीय पवन जी राम बली जी सुरेश जी आपका ग़ज़ल पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 3, 2016 at 8:13pm
आदरणीय रवि शुक्ल साहब बहुत ही सुन्दर रचना । बधाई प्रेषित है । सादर ।
Comment by रामबली गुप्ता on September 1, 2016 at 9:50pm
वाह वाह गुरुदेव का बात है एकदमै दिल मा उतर गई ग़ज़ल।जबरदस्त
Comment by डॉ पवन मिश्र on September 1, 2016 at 8:17pm
वाह आदरणीय वाह। बहुत उम्दा रवि जी। शेर दर शेर मुबारकबाद
Comment by डॉ पवन मिश्र on September 1, 2016 at 8:16pm
वाह आदरणीय वाह,,,,बहुत उम्दा रवि जी। शेर दर शेर मुबारकबाद
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 1, 2016 at 5:07pm
बहुत खूब आदरणीय रवि जी । बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है । हार्दिक बधाई ।
Comment by Shyam Narain Verma on September 1, 2016 at 4:27pm
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें ।
सादर 
Comment by Ravi Shukla on September 1, 2016 at 3:23pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर साहब आपका आशीर्वाद ऐसे ही मिलता रहे । आमीन ।
Comment by Samar kabeer on September 1, 2016 at 3:12pm
जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल से नवाजा है आपने मंच को बहुत ख़ूब वाह, शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service