For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितना अच्छा होता .....

कितना अच्छा होता .....

कितना अच्छा लगता है
फर्श पर
चाबी के चलते खिलौने देखकर
एक ही गति
एक ही भाव
न किसी से कोई गिला
न शिकवा
ऐ ख़ुदा
कितना अच्छा होता
ग़र तूने मुझे भी
शून्य अहसासों का
खिलौना बनाया होता
अपना ही ग़म होता
अपनी ही ख़ुशी होती
न लबों से मुस्कराहट जाती
न आँखों में नमी होती
सब अपने होते
हकीकत की ज़मीं न होती
ख़्वाबों का जहां न होता
बस ऐ ख़ुदा
तूने हमें भी वो चाबी अता की होती
तो न कोई तड़प होती
न कोई अरमां होता

ये
दिल
दर्द से आशना होता

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 942

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on October 4, 2016 at 10:27pm

आद.  Arpana Sharma जी प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय बधाई का हार्दिक आभार। 

Comment by Arpana Sharma on October 4, 2016 at 3:42pm
आदरणीय सुशील जी, बहुत ही सुंदर भावार्थ लिए कविता है। आपको बहुत बधाई
Comment by Sushil Sarna on October 3, 2016 at 2:48pm

आदरणीय  PRAMOD SRIVASTAVA जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया एवम आत्मीय बधाई का हार्दिक आभार। 

Comment by PRAMOD SRIVASTAVA on October 3, 2016 at 2:44pm

बहुत ही सुंदर रचना के लिए बधाई ।

Comment by Sushil Sarna on September 28, 2016 at 3:34pm

आदरणीय रामबली गुप्ता जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया एवम आत्मीय बधाई का हार्दिक आभार। 

Comment by रामबली गुप्ता on September 23, 2016 at 11:36am
वाकई अनूठी रचना हुई है आद0 भाई सुशील सरना । दिल से बधाई लीजिये।
Comment by Sushil Sarna on September 22, 2016 at 8:29pm

आदरणीय कल्पना भट्ट जी प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय बधाई का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on September 22, 2016 at 8:29pm

आदरणीय शिज्जु शकूर जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया एवम आत्मीय बधाई का हार्दिक आभार। 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 22, 2016 at 4:02pm

आदरणीय सुशिल सरना जी बहुत बहुत बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 22, 2016 at 3:43pm

आदरणीय सुशील सरना सर आपकी रचना को महीने की सर्वश्रेष्ठ चुने जाने पर बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
13 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
14 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
14 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service