For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे

जग से ईर्ष्या क्यों करें,क्यों हो कोई होड़
सबकी अपनी राह है,दौड़ें या दें छोड़।।

प्रेम-प्रीत की रीत से,जग को लेते जीत
ईर्ष्या व बुरी भावना, रखती है भयभीत।

जिसको कोई चाहता ,वह ही उसका मीत
स्नेह-प्रेम के जोर से,बने हार भी जीत।।

ठाले बैठे क्यों रहें, कर लें कुछ तो काम
ईर्ष्या जाती यूँ उपज,कर देती बदनाम।

सबकुछ उनके पास है,हम ही हैं कंगाल
बैठे खाली सोचते,कैसे आए माल।।

सोच-सोच कर मन मुआ,विचलित हुआ अपार
कर्म करें आगे बढ़ें,दें चिंता को मार।।

मन हो जाए बावरा,पाते हीे सम्मान
उसको रख लें थाम के,बनी रहे फिर शान।

------------
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 582

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on July 19, 2016 at 11:03pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक आभार।सादर नमन।आपका सुझाव अनुकरणीय है।सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 19, 2016 at 6:18pm

आदरणीय सतविन्द्र भाई , सुन्दर दोहावली के लिये आओअको हार्दिक बधाइयाँ ।

ईर्ष्या व बुरी भावना,    -- सही है  ,  लेकिन ऐसा करें तो ?  मन की हर दुर्भावना , रखती है भयभीत ,  सोच लीजियेगा , ज़रूरी नही है ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on July 19, 2016 at 6:30am
प्रयास पर पुनः उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत-बहुत आभार आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी।गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभ कामनाएँ!सादर नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on July 19, 2016 at 6:28am
स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक आभार श्रद्धेय सौरभ पाण्डेय जी।चरैवेति-चरैवेति यही तो मन्त्र है अपना।प्रयास सतत ही है श्रद्धेय।गुरुपूर्णिमा के पवन अवसर पर सादर नमन!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2016 at 1:01am

आदरणीय सतविन्द्र जी, आपका प्रयास रंग ला रहा है. आदरणीय अशोक जी के सुझाव पर आपने तुरत कार्यवाही की है, अतः हमें दोहे संयत हुए मिले हैं. वैसे भावों को शब्दों में पिरोने का अभ्यास अभी और प्रयास मांगता है. शुभेच्छाएँ 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 18, 2016 at 10:58pm

सुंदर सुधार किया है भाई सतविन्द्र कुमार जी. सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 18, 2016 at 10:49pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, आपका प्रयास रंग ला रहा है. आदरणीय अशोक जी के सुझाव पर आपने तुरत कार्यवाही की है, अतः हमें दोहे संयत हुए मिले हैं. वैसे भावों को शब्दों में पिरोने का अभ्यास अभी और प्रयास मांगता है. शुभेच्छाएँ 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on July 18, 2016 at 8:52pm
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी।सादर नमन।परिष्कृत प्रयास का अवलोकन कर कृतार्थ करें।अनुमोदन,मार्गदर्शन के लिए आभार।
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 18, 2016 at 6:08pm

आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, बहुत सुंदर दोहे रचे हैं.सतत प्रयास से और भी निखार आयेगा. इस सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

प्रेम-प्रीत की रीत से,जग को लेते जीत
ईर्ष्या-द्वेष बुरी भावना, रखती है भयभीत।.......तृतीय चरण जांच लें.

उसपे ज्यादा हो गया,हम तो हैं कंगाल
बैठे खाली सोचते,हों क्यों मालामाल।।.........इस दोहे के कथ्य में अधूरापन खल रहा है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
13 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service