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जेब में सहमा हुआ इतवार है (ग़ज़ल 'राज ')

२१२२ २१२२ २१२

मजहबों के बीच जो दीवार है

डालती उस नींव को सरकार है

हाथ में जिसके किताबें चाहिए

आज उसके हाथ में हथियार है

जिन्दगी इक बार मिलती है यहाँ

मर रहा इंसान सौ सौ बार है

ख्वाहिशें बच्चों की पूरी क्या करें

जेब में सहमा हुआ इतवार है

पढ़ नहीं सकता यहाँ इक हर्फ़ जो

बेचता सड़कों पे वो अखबार है

राम रहिमन बिक रहे बाजार में

फल रहा बस धर्म का व्यापार है

नारियाँ महफूज़ बोलो हैं कहाँ

आज सड़कों पर लुटे संसार है

गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे

हर कोई दिखता यहाँ गमख्वार है

बादलों की देख के दादा गिरी

आज सावन भी हुआ बेजार है

दुश्मनी केवल यहाँ इंसान में

जानवर को जानवर से प्यार है

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 11, 2016 at 11:13pm
इस खूबसूरत ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राजेशजी
Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 11, 2016 at 11:12pm
इस खूबसूरत ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राजेशजी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 10:46pm

आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से शुक्रिया आद०  श्री सुनील जी 

Comment by shree suneel on July 11, 2016 at 9:33pm
ख्वाहिशे बच्चों की पूरी क्या करें
जेब में सहमा हुआ इतवार है... सही बात!
अन्य अशआर भी काबिले तारीफ हैं आदरणीया. हार्दिक बधाई आपको. सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 12:26pm

आदरणीय राजेंद्र कुमार जी आपका तहे दिल से आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 12:26pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 12:15pm

प्रिय राहिला जी ,आपकी मुखर प्रतिक्रिया ने मेरा उत्साह दुगुना कर दिया आपका तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 12:02pm

आद० समर  कबीर भाई जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लेखन कर्म सार्थक हो गया तहे दिल से आभार आपका |मूल रचना में ख्वाहिशें कर लिया है सादर आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 12:00pm

महेंद्र कुमार जी, उत्साह वर्धन के लिए तहे दिल से आभार आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 11:59am

मनोज कुमार एहसास जी ,ग़ज़ल आपको पसंद आई आपका तहे दिल से आभार |

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