For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ , रहती हो हर पल मेरे साथ .....

जब निकलता हूँ घर से बाहर , चाहे मैं पलटकर देखूं ना देखूं
खड़ी रहती हो तुम दरवाज़े पर ही जब तक हो ना जाऊं ओझल गली के मोड़ पर ,
और फिर चलने लगती हो साथ मेरे दुआओं के रूप में .....

नींद ना आये जब मुझे तो गुज़ार देती हो सारी रात ,
थपकियाँ देते हुए मेरे माथे पर ,
और सो जाता हूँ मैं सुकून से .....

कभी जो आना-कानी करूँ खाने के नाम पे ,
तो यूं खिलाती हो अपने हाथों से ,
मानो भूख मेरी शांत होती हो और तृप्त तुम्हारी आत्मा...

यूं तो जाने कितनी ही गलतियों को मेरी,
देखकर भी कर जाती हो अनदेखा चुपचाप ,
पर, जो दर्द की एक भी लकीर उभर आती है चेहरे पर
तो एक पल में पहचान लेती हो उसे .....

उलझ जो जाता हूँ जिंदगी के सवालों में कभी ,
झट से सुलझा देती हो उन्हें ,
जैसे चुटकियों में सुलझा दिया करती थीं गणित के उन कठिन सवालों को .....

निराश हो जाऊं ग़र कभी अपने ही असफल प्रयासों से ,
तो पूरे सुकून से बस इतना ही कहती हो कि "बहुत अच्छा किया "
और दे देती हो प्रेरणा अनगिनत सफल प्रयासों के लिए...

माँ ,
तुमसे ही है अस्तित्व मेरा ,
तुम ही जीवन हो ,
तुम हो तो मैं हूँ ... माँ ||

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Veerendra Jain on July 5, 2011 at 1:13pm
Vasudha ji... bilkul sahi kaha aapne shabdon ko banakar maa ko bayaan nahi kiya ja sakta...isliye main bas wo likhne ki koshish ki jo roz hota hai...pasand karne ke liye bahut bahut dhanyawad...
Comment by Vasudha Nigam on July 5, 2011 at 12:59pm
मा को शब्दो मे बता पाना बेहद कठिन हैं, बहुत ही खूबसूरती से व्याख्यान किया हैं आपने..
Comment by Veerendra Jain on May 12, 2011 at 11:36pm
 Ganesh ji , Arun ji , Ashish ji... maa ke baare men jitna kaha jaye utna kam hai... aap logon ne rachna pasand kar mera protsahan badhaya..iske liye bahut bahut aabhar...
Comment by आशीष यादव on May 12, 2011 at 1:52pm
maine bhi isi ma ke upar kuchh likha tha. dekh lijiyega.
http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:20628
Comment by आशीष यादव on May 12, 2011 at 1:48pm

mata akhir mata hi hoti hai.

bahut sundar rachna hai ma ke upar. mera badhai kubul kare.

Comment by Abhinav Arun on May 10, 2011 at 1:14pm
sachmuch maa ke sneh kee koi barabaree naheen wo har haal men apnee santaan ko sukhee rakhna chaahtee hai .behad prabhaav kaaree rachna keliye virendra jee badhaae sweekareen >

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 10, 2011 at 11:35am

तो यूं खिलाती हो अपने हाथों से ,
मानो भूख मेरी शांत होती हो और तृप्त तुम्हारी आत्मा.

बेहद खुबसूरत ख्याल, यही तो है माँ की ममता, अपने मुह के निवाले को भी माँ हमारे मुह में डाल देती है, हे माँ सच धरती पर तुमसे बड़ा और महान कोई नहीं |


जो दर्द की एक भी लकीर उभर आती है चेहरे पर
तो एक पल में पहचान लेती हो उसे

यही तो बात है, इक माँ ही है जो अपने बच्चे के हर हाव भाव को पहचान लेती है, माँ की नज़रों से बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है |

माँ ,
तुमसे ही है अस्तित्व मेरा ,

 

यथार्थ है वीरेन्द्र जी , बधाई इस खुबसूरत रचना हेतु |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
9 hours ago
Vikas is now a member of Open Books Online
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service