For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहाँ तक ज़िन्दगी से भागियेगा (ग़ज़ल)

1222 1222 122

हर इक चेहरे पे था चेहरों का पर्दा
तभी तो खा गया आईना धोखा

तुम्हारी मौत मेरी ज़िन्दगी है,
अँधेरा रौशनी से कह रहा था

नहीं छोड़ेगी पीछा मरते दम तक,
कहाँ तक ज़िन्दगी से भागियेगा।

निहत्था आफ़ताब आया फ़लक पर,
अभी हमला भी होगा बादलों का।

वफ़ा की बात फिर करने लगा मैं,
रिएक्शन ये दवा का हो गया क्या?

"जय" अब तो छोड़ करना सौदा-ए-दिल
हुआ कंगाल तू सह-सह के घाटा

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 830

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on July 2, 2016 at 10:01pm
आदरणीया राजेश जी, मैं आपकी इस बात से सहमत नहीं हूँ कि हर्फ़-ए-उला का आख़िरी अक्षर यदि किसी स्वर योग के कारण दीर्घ मात्रिक रहता है तो इजाफत के बाद "ए" स्वर योजित होने पर उस आख़िरी अक्षर की मात्रा पर कोई प्रभाव नहीं पडता। हम चाहें तो आखिरी अक्षर की मात्रा गिराकर 'ए' को दीर्घ कर सकते हैं।

इस सन्दर्भ में आ. एहतराम इस्लाम जी का एक शे'र देखिये-

था किसी का भी न मक़सद सच को झुठलाना, मगर
मुँह में रखकर लुक्मा-ए-तर,सच को सच कहता तो कौन?

अब आप उपर्युक्त शे'र की तक़्तीअ करके निर्णय करें कि मकते का पहला मिसरा अरूज़ के नियमों के अंतर्गत है या नहीं?
सादर!!
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2016 at 8:53pm

आ० जयनित  भाई, बड़ी अच्छी जानकारी मिली . आ ० राजेश  दीदी ने  तो नियम ही बता दिया . मेरी समझ में  हमें ऐसी स्थितियों से बचना चहिये और अन्य  विकल्प ढूँढने चाहिए . आपकी गजल् कई मायने में बहुत अच्छी है .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2016 at 7:57pm

क्यूंकि मुझे भी समझना  था ये अतः एक पुस्तक ने हेल्प कर दी आप भी  देखिये 

५) हर्फ़-ए-उला का आख़िरी अक्षर यदि किसी स्वर योग के कारण दीर्घ मात्रिक रहता है तो इजाफत के बाद "ए" स्वर योजित होने पर उस आख़िरी अक्षर  की मात्रा पर कोई प्रभाव नहीं पडता वह पूर्ववत दीर्घ रहता है और 'ए' को अलग से लिख कर लघु मात्रा गिना जाता है 
उदाहरण - 'दीवार का साया' इज़ाफत द्वारा 'सायाए दीवार' हो जाता है इसमें साया २२ पर कोई फर्क नहीं पड़ता वह पूर्ववत २२ रहता है और 'ए' की लघु मात्रा को अलग से गिनते है  अतः सायाए दीवार का वज्न हुआ - २२१ २२१  

इसका एक और उदाहरण "शिकवा-ए-गम" है जिसका वज्न २२१ २ है    

इस हिसाब से आपके सौदा -ए -दिल का वज्न --२२ १२  होता है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2016 at 6:13pm

१२२ मैं सौदा ए दिल  कैसे कर सकते हैं मैं भी असमंजस में हूँ आद० गिरिराज जी से सहमत हूँ बाकि अरुज के अच्छे ज्ञानी  ही इस का ज्ञान हमें भी देंगे ..इन्तजार है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 2, 2016 at 1:31pm

आदरणीय जयनित भाई , मै ये नही कहता कि इस गाने मे गलत है , लेकिन ये ज़रूर कहूँगा कि फिल्मी गानों के आधार पर अरूज के नियमों को तय करने की कोशिश सही नही है । गानों मे बहुत सी गलतियों को स्वीकार कर लिया जाता है , और अगर धुन अच्छी हो तो चल भी जाते हैं

अगर आपके पास '' गज़ल की बाबत '' हो तो पेज न. 160 देखें । फिर भी ये सही लगे तो ठीक है ! समझने मे मुझसे भी भूल हो सकती है , मै भी तो आखिर सीख ही रहा हूँ , कोई उस्ताद तो हूँ नहीं । मै ही सुधार लूँगा अपनी जानकारी ।

Comment by जयनित कुमार मेहता on July 2, 2016 at 1:07pm
जी, मुझे तो इतना ही मालूम है कि अंत में दीर्घ होने पर इजाफत का नियम यही होता है।

एक उदाहरण देना चाहता हूँ।
एक ग़ज़ल (गीत) है-

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

देखिये, इसमें भी बाज़ू-ए-क़ातिल को "बाज़ुए क़ातिल" 212 22 की तरह निभाया गया है।
आशा करता हूँ, इस बारे में अब आपकी अवधारणा स्पष्ट हुई होगी।
आदर सहित!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 2, 2016 at 12:59pm

आदरणीय मैने खयाल् ज़ाहिर किया है , इसका मतब ही है कि मै खुद कंफर्म नही हूँ --

देखिए -- हर्फे उला -- सौ दा -- 2  2

हर्फे इज़ाफत  --          ए   -      1

 हर्फे सानी --                दिल     2     --   आपने    दा ए दिल -  212   को 122 लिया है  यानी  दा को गिराया है और  ए को उठाया है -- अगर आपको मालूम है कि ये सही है तो , मुझे भी मंज़ूर है , मै स्वयँ इस बात से अनजान हूँ । मेरे लिये भी एक नई जानकारी होगी ।

Comment by जयनित कुमार मेहता on July 2, 2016 at 12:24pm
आदरणीय गिरिराज जी,
आपकी बात मैं जितनी समझ पा रहा हूँ, उसके अनुसार बात को स्पष्ट करने की कोशिश कर रहा हूँ।
इजाफत में अगर पहले शब्द के अंत में दीर्घ हो, तो आपके पास दो विकल्प होते हैं।
पहला या तो आप उसे दीर्घ ही मान लें, या उसकी मात्रा गिराकर लघु बना लें।

इस नियम के अनुसार मेरा मिसरा बह्र में है, देखिये-
जय अब (ज यब) तो छोड़ करना सौदा-ए-दिल (सौदए दिल)..

सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 2, 2016 at 7:46am

आदरनीय सौरभ भाई . आ. जयनित भाई , क्षमा चाहूँगा , मै ने अपनी प्रतिक्रिया में मक्ते तो मतला किख दिया था , वैसे आगे की बत सही है जो मै लिखना चाहता था कि - इजाफत मे - ए - की मात्रा 1 लिया जाता है , ऐसा मेरा खयाल है , क्या  इजाफत को 2 भी किया जा सकता  मात्रा उठा के , मै नही जानता । अभी मिसरा भी नीचे लिख रहा हूँ --
"जय" अब तो छोड़ करना सौदा-ए-दिल     --      मात्रा उठा के इजाफत को दो कर लेने में मुझे शंका है , जानकारों की सलाह का इंतिज़ार किया जा सकता है , बदलाव से पहिले ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2016 at 12:23am

निहत्था आफ़ताब आया फ़लक पर,
अभी हमला भी होगा बादलों का।

वाह वाह ! 

आदरणीय गिरिराज भाई, आदरणीया राजेश कुमारीजी, आईना का ना कई मामले में गिरता हुआ हमने देखा है. दूसरे, मतले का उला ठीक ही है.  मैं उस मिसरे को ऐसे पढ़ गया - हरिक चहरे पे था चहरों का पर्दा ..

सही विन्दु यदि अन्यथा है तो अवश्य साझा कीजियेगा. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
23 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service