For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इश्क़ में इनकार भी इकरार भी (ग़ज़ल 'राज' )

2122  2122  212

 

जिंदगी में जीत भी कुछ हार भी

और यारो प्यार भी तकरार भी  

 

लोग दरिया  से उतारें पार भी     

छोड़ देते बीच कुछ मजधार भी

 

हर कदम पे ही मिले हमको सबक

राह में कुछ फूल भी कुछ ख़ार भी

 

हम भले फुटपाथ पर धीमे चले

पार करने को बढ़ी रफ़्तार भी

 

जो मिले पैसे उसी में सब्र था 

 बीस आये हाथ में या चार भी

 

हम सदा खेला किये बस गोटियाँ

खेल में खंजर मिले तलवार भी

 

जिन्दगी ने सब लिए हैं इम्तहाँ

इश्क़ में इनकार भी  इकरार भी

 

जीस्त तो कुरआन गीता की तरह  

पर कभी दर पे पड़ा अखबार भी

 

इस चमन में हर तरह के फूल हैं

ढूँढ लो खुद्दार भी गद्दार भी

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 21, 2016 at 11:46am

आदरणीया राजेश जी , बहुत अच्छी ग़ज़ल  कही आपने , दिल से बधाइयाँ आपको ।

लोग दरिया  से उतारें पार भी      --  दरिया के पार  या दरिया के पार  , मुझे के सही लग रहा है , सोचियेगा ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 21, 2016 at 10:12am

आ० डॉ० सूर्या बाली जी,ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और दाद दोनों के लिए दिल से बहुत बहुत आभार .  

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 20, 2016 at 10:04pm
हर क़दम पे ही मिले हमको सबक़ ...
राह में कुछ फ़ूल भी कुछ खार भी ...
हासिल ए ग़ज़ल शेर
वैसे तो पूरी ग़ज़ल ही बेहतरीन है
बहुत बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 20, 2016 at 8:49pm

तहे दिल से आभार आ० मनन कुमार जी 

Comment by Manan Kumar singh on June 20, 2016 at 8:46pm
बहुत खूब हालाते-बयां,बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 20, 2016 at 7:39pm

आ० तेजवीर सिंह जी बहुत- बहुत शुक्रिया |

Comment by TEJ VEER SINGH on June 20, 2016 at 2:03pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी! बेहतरीन  गज़ल!

जिन्दगी ने सब लिए हैं इम्तहाँ

इश्क़ में इनकार भी  इकरार भी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 20, 2016 at 11:43am

आ० श्याम नारायण जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Shyam Narain Verma on June 20, 2016 at 11:08am

इस चमन में हर तरह के फूल हैं

ढूँढ लो खुद्दार भी गद्दार भी

शानदार रचना आदरणीया बहुत२ बधाई   आप को | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service