For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तपन है आग है शोले हैं चिंगारी है सीने में

तपन है आग है शोले हैं चिंगारी है सीने में
अजब सी बेक़रारी है बिछड़ कर तुमसे, जीने में

मेरे दिल की हर इक धड़कन यही फ़रियाद करती है
बुला लीजै मेरे आका मुझे भी अब मदीने में

ज़रूरी है नहीं की हर सफ़र अंजाम तक पहुंचे
गुहर मिलते नहीं सबको मुहब्बत के दफ़ीने में

गरजते बादलों के ख़ौफ़ से उसका लिपट जाना
बहुत ही याद आता है वो बारिश के महीने में

कोई इक दोस्त आ जाए कोई दुश्मन ही आ जाए
मज़ा आता नहीं "सूरज" अकेले जाम पीने में

डॉ सूर्या बाली 'सूरज"
भोपाल
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1029

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by anupam choubey on August 26, 2016 at 1:35pm

बहुत ही लाजबाब जनाब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 18, 2016 at 10:43pm

अच्छे अश’आर हुए हैं आदरणीय सूर्या जी, दाद कुबूल कीजिए


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 22, 2016 at 4:00am

इस ग़ज़ल का मतला बेहद खूबसूरत है, आदरणीय सूर्याबाली जी. दाद कुबूल कीजिये.

ज़रूरी है नहीं की हर सफ़र अंजाम तक पहुंचे .. इस मिसरे में आया की वस्तुतः कि होगा न ? यदि ऐसा है तो इस मिसरे को फिर से देखना होगा, आदरणीय. या उर्दू की भाषा के अनुसर यह सही है ? जैसे, हिन्दी का खुश्बुएँ, उर्दू में खुश्बूएँ हो सकता है.

सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 21, 2016 at 9:41pm

क्या बात है क्या बात है बहुत ही खूबसूरत 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 20, 2016 at 10:21pm
गिरिराज जी सौरभ जी महर्षि जी और आशुतोष जी आप सभी का हृदय से आभार
गिरिराज जी रचनाएँ पढ़ी जाए ये ज़रूरी नहीं हैं
प्रतिक्रिया ना आने का मतलब ये नहीं की रचनाएँ पढ़ी नहीं जा रहीं. हर रचना अपना पाठक ढूँढ लेती है
रचना योग्य होगी तो उस पर लोगों का ध्यान ज़रूर जाएगा
और ते भी ज़रूरी नहीं की सभी रचनाएँ इस योग्य हो
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 15, 2016 at 2:18pm

आदरणीय बाली जी ..आपकी रचना का लुत्फ़ उठाया  इस सुंदर रचना के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 15, 2016 at 2:08pm

अभी एक मीटिङ में हूँ।

लेकिन इस संदर्भ में एक बात कहनी बहुत ज़रूरी है।  पाठकीयता की अपेक्षा व्यक्ति या किसी समूह से न कर, यह सभी सदस्यों से अपेक्षित है । 

विधा विशेष के प्रति आग्रह यदि हमें एक पाठक के तौर पर संकुचित कर रहा है तो यह स्थिति किसी रचनाकार के लिए शोचनीय है। 

सादर

Comment by maharshi tripathi on June 15, 2016 at 1:22pm
आ.गिरिराज भंडारी सर जी,सिर्फ यही नही,ऐसा बहुत सी रचनाओ के साथ होता है,कुछ गिनी चुनी और स्पेशल रचनओं पर कई गुणीजन प्रतिक्रिया देते हैं,मेरे साथ भी ऐसा हुआ है,अगर ऐसा रहा तो हम सीख नही payeng !!!!!
Comment by maharshi tripathi on June 15, 2016 at 1:15pm
गेयता और भाव दोनो का समावेश है,शब्द चयन भी बढिया है,बहुत बहुत बधाई आ सूरज जी !!!!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2016 at 10:03am

ये बड़ा दुख का विषय यह रचना अब तक किसी के द्वारा पड़ी नही गई , क्या ये सोचनीय स्थिति नही है ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service