For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1212 1122 1212 22
तज़़्मीन बर ग़ज़ल जाँ निसार अख्तर

वो होंगे कैसे, सितम जिनपे मैंने ढाया था
कि मैं रुका न मुझे कोई रोक पाया था
थे अपने लोग मगर उनसे यूँ निभाया था
"ज़रा सी बात पे हर रस्म तोड़ आया था
दिल-ए-तबाह ने भी क्या मिज़ाज पाया था "

जमूद हूँ कि रवाँ हूँ मैं रहगुज़र की तरह
रुका कभी तो लगा वो भी इक सफ़र की तरह
दयारे गै़र में उभरा कुछ उस दहर की तरह
" गुज़र गया है कोई लम्हा-ए-शरर की तरह
अभी तो मैं उसे पहचान भी न पाया था "

वो दिल फ़रेब मेरे ख़्वाब आज भी मुझको
हैं याद और बुझी आँखें वो गली मुझको
तेरे बगै़र जी लेंगे ये आस थी मुझको
"मुआफ़ कर न सकी मेरी ज़िन्दगी मुझ को
वो एक लम्हा कि मैं तुझ से तंग आया था "

मैं जी रहा था ग़मे आप में यहां कैसे!
फ़ुसूँ तेरा कि मैं आख़िर निकल गया ग़ै से
खुदा ने ख़ूब दी इश्वागरी तुम्हें वैसे
"शगुफ़्ता फूल सिमट कर कली बने जैसे
कुछ इस कमाल से तूने बदन चुराया था "

उदास आज फ़लक पे सितारे हैं सह़री
किसी की आह ख़ुनुक इस हवा में फिर उभरी
कि थी ये बात जो ये रात ख़ूब थी गहरी
" पता नहीं कि मेरे बाद उन पे क्या गुज़री
मैं चंद ख़्वाब ज़माने में छोड़ आया था "

ग़ै-निराशा, इश्वगरी - स्त्रियों का हाव भाव, जमूद-गतिहीनता

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 612

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shree suneel on June 8, 2016 at 10:23am
आदरणीय समर कबीर सर जी से विनम्र निवेदन है कि तज़मींन पर मेरे इस पहले प्रयास पर अपनी टिप्पणीयों से मार्गदर्शन करने की कृपा करें. सादर.
Comment by shree suneel on June 8, 2016 at 10:06am
तज़मींन पर मेरे इस प्रयास की सराहना के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज सर जी. सादर
Comment by shree suneel on June 8, 2016 at 10:00am
शुक्रिया आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी. सादर.
Comment by shree suneel on June 8, 2016 at 9:59am
तज़मींन पर मेरी पहली कोशिश की सराहना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी. सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 8, 2016 at 8:25am

आदरणीय श्री सुनील भाई , लाजवाब तज़मीन हुई है , दिल से बधाइयाँ आपको ।

Comment by maharshi tripathi on June 7, 2016 at 5:06pm
बढिया गज़ल हुई है,दाद कुबूल करें !!!!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 7, 2016 at 11:22am

वाह्ह्ह  सुनील जी बहुत ही  शानदार तजमीन की  है आपने दिल से  ढेरों  बधाई  लीजिये 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service