For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इतिहास गवाह है(लघुकथा )राहिला

एक बड़े ही अनुकूल सर्व सुविधा युक्त घूरे पर बर्षों से घरेलू मक्खियों की पीढ़ियां मजे से जिंदगी बसर कर रही थीं। ऐसे में ना जाने कौन साफ तबियत वाले ने नगर पालिका को घूरा हटाने का आवेदन दे मारा । इसकी खबर जैसे ही मख्खियों को लगी, उनमें खलबली मच गई । उन्हें इतना व्यथित देख,एक बूढ़ी सियानी मक्खी ने सांत्वना दी ।
"अरे इतना क्यूं घबरा रही हो? इतिहास गवाह है, आजतक हमें कोई नहीं मिटा पाया । "
"लेकिन दादी मख्खी! अगर नगर पालिका वाले सचमुच आ गये तो,हम बच्चों को लेकर कहाँ जायेंगे? "
"कहीं नहीं, अब्वल तो वो निकम्में एक बार में आते नहीं, फिर अगर आ मरे भी,तो ये आसपास के इंसान तो नहीं मरे ना !"

.
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1157

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on July 8, 2016 at 8:40pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय परवेज जी!सादर

Comment by Parvez khan on July 8, 2016 at 8:25pm
सही कटाक्ष
Comment by Rahila on June 8, 2016 at 8:19pm
बहुत, बहुत शुक्रिया आदरणीय जवाहर लाल जी! सादर प्रणाम ।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 7, 2016 at 10:05am

वाह बहुत ही अचूक कटाक्ष!

Comment by Rahila on June 6, 2016 at 12:24pm
बहुत आभार आपका आदरणीयाद प्रतिभा दी! वाकई मख्खियां बहुत बेखौफ हो गयीं हैं।सादरनमन
Comment by Rahila on June 6, 2016 at 12:21pm
बहुत शुक्रिया आदरणीया तनुजा जी! बहुत आभार ।सादर प्रणाम
Comment by Rahila on June 6, 2016 at 12:20pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय उस्मानी भाई । बहुत आभार । सादर
Comment by Rahila on June 6, 2016 at 12:19pm
बहुत शुक्रिया प्रिय जानकी दी! सादर आभार ।
Comment by pratibha pande on June 6, 2016 at 11:39am

मक्खिया भी समझदार और बेख़ौफ़ हो गयी हैं    अच्छा कटाक्ष है हमारे सफाई के नारों  पर ,  बधाई प्रेषित है आपको प्रिय राहिला जी  

Comment by TEJ VEER SINGH on June 5, 2016 at 8:28pm

हार्दिक बधाई राहिला जी!बेहतरीन लघुकथा!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service