For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ब्रेकिंग न्यूज़

"अबे तू मुंह बन्द करके बैठेगा, देखता नहीं बड़े लोग आपस में बात कर रहे हैं"

थानेदार ने घुड़की पिलाई और पत्रकार मित्र की ओर खींसे निपोरी। बेचारा शंकरा और सिमट गया, मुलिया ने बारह वर्षीया चुन्नी के पैरों पर का कपड़ा ठीक किया और बड़बड़ाने लगी दिमाग ठिकाने नहीं था उसका जब से बेटी की ऐसी हालत देखी थी चारों तरफ लाल ही रंग दिख रहा था उसे। पत्रकार महोदय ने कहा:

"ये तो और भी अच्छा है कि शंकरा नेता जी के घर के पास वाली झुग्गियों में रहता है नहीं तो चैनल मुझे नौकरी से ही निकाल देता अब लपेटता हूं नेता जी को भी आखिर मुझे भी तो प्रमोशन चाहिये। फोटो दिलवाओ ज़रा भाई साब" उसने थानेदार से कहा।

फोटोग्राफर ने दर्द से तड़पती चुन्नी के पैर से कपड़ा ऊपर किया और कहा अरे फोटो तो ठीक से लेने दो लोगों की सहानुभूति कैसे मिलेगी। मुलिया रात को हैवानियत का शिकार हुयी चुन्नी पर और भी झुक गयी जैसे पूरा का पूरा ढक लेगी अपनी लाड़ली को।

(मौलिक और अप्रकाशित)

आभा चन्द्रा

Views: 970

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Kumar on June 4, 2016 at 3:39pm

मार्मिक व सजीव चित्रण!
हार्दिक बधाई!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 4, 2016 at 3:01pm

मुलिया रात को हैवानियत का शिकार हुयी चुन्नी पर और भी झुक गयी जैसे पूरा का पूरा ढक लेगी अपनी लाड़ली को।

 gajab gajab  बहुत बहुत बधाई 

Comment by Nita Kasar on June 4, 2016 at 1:59pm
ये आज की पत्रकारिता है,कितने ज़ख़्म है माता पिता के सीने पर वे इन्है नही दिखते बस अपने स्वार्थ से सरोकार है प्रमोशन की घिनोनी जुगत को उकेरती कथा के लिये बधाई आद०आभा चंद्रा जी ।
Comment by Sushil Sarna on June 4, 2016 at 1:29pm

ब्रेकिंग न्यूज़ के माध्यम से आपने मानवता को शर्मसार करती घिनौनी सच्चाई को बड़ी ही निर्भीकता से उजागर किया है। ये मानवीय विकृति है कि खून के रंग दिखलाकर कोई अपना प्रमोशन चाहता है और कोई अपने खून को बचाने के लिए स्वयं को मिटा जाता है। यहां हर चीज बिकती है फिर वो चाहे वो किसी की सरे आम लुटती इज्ज़त हो ,किसी का कत्ल हो या फिर सभ्यता के गलियारों में अनैतिकता का तांडव हो।  बहरहाल इस संवेदनशील विषय पर आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। काश मानव मानव का दर्द समझ पाये  ... 

Comment by Abha Chandra on June 4, 2016 at 12:27pm

आ. राहिला जी बहुत बहुत शुक्रिया सराहना के लिए
सादर नमन

Comment by Abha Chandra on June 4, 2016 at 12:25pm

आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी आप की उत्साहित करने वाली समीक्षा से बहुत बल मिला
ये सब भी ऐसे मुद्दे है जिन परध्यान देने की आवश्यकता है आपको कथा पसंद आई इसकी बेहद प्रसन्नता है मुझे
बहुत बहुत शुक्रिया सराहना के लिए आदरणीय सादर नमन

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 4, 2016 at 11:49am
शीर्षक रचना को, और रचना शीर्षक को सटीक परिभाषित करती है। लेखनी का साहस और रचना की मार्मिकता, भयानकता सुस्पष्ट है। ऐसे परिदृश्य शाब्दिक होने ही चाहिए साहित्यिक कृतियों द्वारा जन-जागरण के लिए। हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया आभा चन्द्रा जी।
Comment by Abha Chandra on June 4, 2016 at 11:36am

आदरणीय प्रतिभा पांडेय जी आज के युग की कड़वी सच्चाई है
बहुत बहुत शुक्रिया सराहना के लिए आदरणीया सादर नमन

Comment by Rahila on June 4, 2016 at 11:34am
बहुत बढ़िया रचना आदरणीया !खूब बधाई आपको इस रचना हेतु । सादर
Comment by Abha Chandra on June 4, 2016 at 11:33am

आदरणीय विजय शंकर सर बहुत खूब समीक्षा की आपने
सच कहा आपने ' ब्रेकिंग न्यूज़ अर्थात तोड़ने वाली खबर , जो तोड़ दे '
बहुत बहुत शुक्रिया सराहना के लिए सादर नमन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
35 minutes ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
37 minutes ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
37 minutes ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
41 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
43 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
44 minutes ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
1 hour ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
2 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service