For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लग्न-मुहूर्त(लघुकथा)-सतविंदर कुमार

"अरे!जानती हो आचार्य जगत ज्ञानी जी की पुत्रवधु मरते-मरते बची। बस भगवान ने साँसे बख्श दी। वर्ना ऐसा दुःख मिला है जीवन भर कलेजे में ठुंसा रहेगा।बेचारी!"
बैठने के लिए पीढ़ा सरकाते हुए मुख्तारी ताई एक साँस में बोल गई।
"हाँ! सुना तो है कि कल उसकी तबियत ज्यादा ख़राब हो गई थी। शहर के नर्सिंग होम में ही दाखिल है। अभी तक..."
कुछ सोचते हुए फिर बोली, "अब तो उसकी तबीयत में काफी सुधार है।फिर आप किस दुःख की बात कर रही हो ताई?"
सहमते हुए।
"अरे! जानती हो न कि उसका प्रसव का समय नजदीक ही था।"
"हाँ ये तो जानती हूँ कि........था!"
बोलते-बोलते चोंकी।
"मतलब क्या हुआ ताई?"
ताई गाल को हाथ का सहारा देते हुए, "कल ही प्रसव पीड़ा का अंदेशा हुआ। लड़का घर पे था नहीं। आचार्य जी थे। जैसे ही अंदेशा हुआ सास ने आचार्य जी को बोला कि या तो पड़ोस वाली नर्स को बुला लें या बहु को लेकर हस्पताल ले जाने की तैयारी करें।"
"फिर?"
"फिर क्या ज्योतिषाचार्य जो ठहरे। पहले तो बैठ गए पोथी खोल कर। काफी समय गणना करने के बाद बोले कि पूरे एक घण्टे बाद शुभ लग्न शुरू होगा। यदि उससे पहले बच्चे का जन्म होता है तो यह माता-पिता व दादा-दादी पर बहुत भारी रहेगा।"
"बहू की हालत तो...
चिंता में बस इतना ही बोल पाई।
"देरी से बहू को अस्पताल ले जाया गया और तब तक हालत इतनी बिगड़ गई थी कि डॉ बड़ी मुश्किल से बस बहू को ही बचा पाए।"
"हैंsss..?"

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 679

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on July 19, 2016 at 11:13pm
सादर आभार आदरणीय शुभ्रांशु पाण्डेय जी।सादर नमन
Comment by Shubhranshu Pandey on April 24, 2016 at 8:48pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, 

सुन्दर भाव के साथ कथा कही गयी है. सादर.

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 14, 2016 at 9:19pm
रचना पर आपकी उपस्थिति से प्रोत्साहन मिला।इस स्नेह के लिए हार्दिक आभार आदरणीया नीता कसार जी।
Comment by Nita Kasar on April 14, 2016 at 4:18pm
लग्न,मुहूर्त के फेर में बच्चे को गवाँ बैठे,लोग जिंदगी से नासमझी में खेलते है।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 12, 2016 at 9:17pm
आपके अनुमोदन एवम् स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on April 11, 2016 at 8:35pm
बहुत सुंदर सतविंदर जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
4 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service