For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिलों को लूटती मेरी ग़ज़ल (राज)

१२२२ १२२२ १२

जदल से ऊबती मेरी ग़ज़ल

मुहब्बत ढूँढती मेरी ग़ज़ल

 

कहाँ वो प्यार उल्फ़त का जहाँ 

कलम से पूछती मेरी ग़ज़ल

 

कदूरत के समंदर चार सू

किनारा ढूँढती मेरी ग़ज़ल

 

न खिड़की है न रोशनदान है

जिया बिन सूखती मेरी ग़ज़ल

 

सुलगते तल्खियों के अर्श पे

सितारे  गूँथती मेरी ग़ज़ल

 

लिखे हर बार लफड़े रोज के

कसम से टूटती मेरी ग़ज़ल

 

अमन का रंग गर मिलता यहाँ

दिलों को लूटती मेरी ग़ज़ल

 

ख़ुलूसे-उल्फतों का जाम पी

नशे में झूमती मेरी ग़ज़ल 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 725

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 10, 2016 at 5:44pm

जी बिलकुल स्पष्ट कर पाए अब आपकी पारखी नजर को धन्यवाद कहना तो बनता ही है आदरणीय .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 10, 2016 at 3:29pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, सुलगते वस्तुतः विशेषण है जो अपनी संज्ञा की विशेषता बताने केलिए प्रयुक्त हुआ है. अब वह तल्ख़ियाँ जैसे शब्द के ठीक पहले प्रयुक्त हुआ है तो उस शब्द की संज्ञा के सभी गुणों को संतुष्ट करेगा न ? अब आप बताइये कि वह अर्श के पहले है ही नहीं तो अर्श संज्ञा के गुणों को कैसे संतुष्ट करता दीखे ? यह तो व्याकरण दोष हुआ न ? मेरा यही निवेदन है. 

अक्सर लोग कहते हैं - दो फूलों की मालाएँ ले आओ. क्या यह वाक्य शुद्ध है ? नहीं.. क्योंकि कहने वाले का तात्पर्य है फूलों की दो मालाएँ ले आओ

विश्वास है, मैं स्पष्ट कर पाया. 

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 10, 2016 at 2:52pm

आ० गुमनाम पिथौरागढ़ी जी आपका दिल से बहुत-बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 10, 2016 at 2:51pm

आ० सौरभ जी ग़ज़ल पर शिरकत और दाद दोनों के लिए तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ |दरअसल सुलगते  शब्द तल्खियों के अर्श के लिए प्रयोग किया है |उम्मीद है मैं कन्फ्यूजन दूर कर सकी |

Comment by gumnaam pithoragarhi on April 10, 2016 at 1:23pm

वाह खूब .......... इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 8, 2016 at 8:33pm

सुलगते तल्ख़ियाँ या सुलगती तल्ख़ियाँ ?  हम तनिका कन्फ़्यूज़ हूँ .. 

ग़ज़ल तो अच्छी होनी ही है. दाद दाद !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2016 at 1:22pm

आ० विजय निकोर जी ,ग़ज़ल पर शिरकत और सुखननवाजी के लिए दिल से आभार | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2016 at 1:20pm

आ० रामबली जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका . 

Comment by vijay nikore on April 6, 2016 at 1:08pm

 //कहाँ वो प्यार उल्फ़त का जहाँ 

कलम से पूछती मेरी ग़ज़ल//......... वाह

खयालों में ताज़गी है.....सारी गज़ल ही अच्छी लगी। बधाई।

Comment by रामबली गुप्ता on April 6, 2016 at 12:23pm
वाह बहुत खूब आदरेया
"सुलगते तल्खियों के अर्श पे,
सितारे गूँथती मेरी ग़ज़ल"
दिल को छूने वाली रचना। बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
14 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
18 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service