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क्या है जीवन, आज समझने मैं आया हूँ

कठिन समय का दर्द सदा ही पाया मैंने

बस आशा का गीत   हमेशा गाया मैंने

जब तुम बनते धूप, बना तब मैं साया हूँ

 

जन्म काल से सत्य एक जो जुड़ा हुआ है

मानव की उफ़ जात बनी ये आदत कैसी

सदा ज्ञात यह बात मगर क्यों भूले जैसी

वहीँ शून्य आकाश एक पथ मुड़ा हुआ है

 

आया है जो आज उसे निश्चित है जाना

इस माटी का मोह, रहे क्यों साँझ सकारे?

इस माटी का रूप बदल जायेगा प्यारे 

फिर भी रे इंसान सत्य को कब पहचाना

 

कठिनाई पर व्यर्थ मनुज तेरा रोना है

जीवन का उत्थान कर्म पथ से होना है

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by मिथिलेश वामनकर on January 8, 2017 at 1:56pm
आदरणीय सुनील जी सराहना हेतु हार्दिक आभार। सॉनेट में यह मेरा प्रथम प्रयास है। ओबीओ मंच पर "भारतीय छंद विधान" समूह में सॉनेट की जानकारी उपलब्ध है। सुलभ सन्दर्भ हेतु लिंक दे रहा हूँ
http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:To...
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on January 8, 2017 at 8:56am
बहुत ही सुंदर अभव्यक्ति इस विधा की मुझे तनिक भी जानकारी नहीं है अतः मै इसकी तकनिकी जानकारी जरूर चाहूँगा आदरणीय।
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on January 8, 2017 at 8:54am
बहुत ही सुंदर अभव्यक्ति इस विधा की मुझे तनिक भी जानकारी नहीं है अतः मै इसकी तकनिकी जानकारी जरूर चाहूँगा आदरणीय।

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Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:52pm

आदरणीय उस्मानी जी, इस प्रयास की सराहना हेतु हार्दिक आभार. सॉनेट का यह मेरा भी प्रथम प्रयास है. इसे मैंने रोला छंद आधारित बाँधने का प्रयास किया है. सादर 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 7, 2017 at 11:42pm
जीवन दर्शन को ख़ूबसूरती से सॉनेट में पिरोया है। सादर हार्दिक बधाई। आपसे मैं भी अब यह विधा सीखना चाहूंगा।

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Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:08pm

आदरणीया KALPANA BHATT जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. सादर...


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Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:08pm

आदरणीय Ram Ashery जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. सादर


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Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:08pm

आदरणीय vijay nikore सर, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. सादर


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Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:08pm

आदरणीय Ravi Shukla जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. सादर


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Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:07pm

आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. सादर

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
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