For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222    1222    1222    1222     1222

हुनर की बात है सबको गमों में यूँ हँसाना तो नहीं आता
सभी के हाथ यारो ये मुहब्बत का खजाना तो नहीं आता

है हसरत तो  हमारी भी  लगाएँ दिल  हसीनों से जमाने में
हमें पर नाज कमसिन का जरा भी यों उठाना तो नहीं आता

हमेशा  लौट आता कारवाँ गर्दिश  का जैसे दोस्तों फिर फिर
कि वैसे लौटकर फिर  से  बुलंदी का जमाना तो नहीं आता

लगेगी जिंदगी कैसे  सजा से हट   किसी ईनाम के जैसी
सभी को यार होठों पर तबस्सुम को सजाना तो नहीं आता

चले हैं छोड़ घर अपना कटेगी अब तो बस खानाबदोशी में
निकलती है नदी जब राह में फिर से मुहाना तो नहीं आता

किया करता है वादे तो बहुत सबसे ‘मुसाफिर’ वो तहे दिल से
निभाना चाहता  भी  है मगर  उसको निभाना  तो नहीं आता

मौलिक व अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2016 at 11:08am

आ० भाई सतविंद्र जी आभार l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2016 at 11:07am

आ० भाई जय नित जी ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2016 at 11:06am

आ० भाई राहुल जी धन्यवाद l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2016 at 11:06am

आ० अमिता जी धन्यवाद l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2016 at 11:05am

आ० भाई मिथिलेश जी आभार l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2016 at 11:05am

आ० भाई मोहित जी , हार्दिक आभार l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2016 at 11:04am

आ० भाई समर कबीर जी उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2016 at 11:03am

आ० भाई तेजवीर जी ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए आभार l

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 7, 2016 at 11:21pm
बहुत बढ़िया।बधाई आदरणीय धामी जी
Comment by जयनित कुमार मेहता on March 7, 2016 at 10:34pm
वाह! बहुत बड़ी बह्र में बहुत खूबसूरत ग़ज़ल।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
12 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service