For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपना अधिकार रहने दो ....

अपना अधिकार रहने दो ....

व्यथित हृदय
कुछ तो रहने दो मन में
व्यथा को शब्दों के लिबास मत दो
शब्द सज संवर के आएंगे
जाने क्या क्या कह जाएंगे
अपने मौन को
शब्दों के आश्रित मत करो
सफर में शब्द भाव बदल देते हैं
जो अपनी होती है
वही बात
शब्दों के परिधान पहन
पराई हो जाती है
अपनी बात को
लोचन में पिघलने मत दो
अन्यथा व्यथा का रूप बदल जाएगा
बात का अपनापन
परायेपन की आशंका से
व्यर्थ में गीला हो जाएगा
बात अपनी पराई हो जाएगी
जा के कहीं और सो जाएगी
जग हंसाई हो जाएगी
हृदय व्यथा को व्यर्थ में
शब्दों से मत अलंकृत करो
बस अपनी व्यथा
अपने पास ही रहने दो
कुछ भी खो लो लेकिन
अपनी बात पर
अपना अधिकार रहने दो

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 487

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 9, 2016 at 1:12pm

आदरणीया    pratibha pande   जी प्रस्तुति आपके आत्मीय स्नेह के लिए  कृतज्ञ है। हार्दिक आभार आपका।

Comment by pratibha pande on February 8, 2016 at 10:22pm

जो अपनी होती है 
वही बात 
शब्दों के परिधान पहन 
पराई हो जाती है ......बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय सुशील जी 
 

Comment by Sushil Sarna on February 7, 2016 at 3:41pm

आदरणीया   मिथिलेश वामनकर  जी प्रस्तुति आपके आत्मीय स्नेह के लिए  कृतज्ञ है। हार्दिक आभार आपका।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2016 at 11:36pm

आदरणीय सुशील सरना सर बहुत बढ़िया प्रस्तुति.... हार्दिक बधाई 

Comment by Sushil Sarna on February 6, 2016 at 6:52pm

आदरणीया  Samar kabeer   जी प्रस्तुति आपके आत्मीय स्नेह के लिए  कृतज्ञ है। हार्दिक आभार आपका।

Comment by Samar kabeer on February 6, 2016 at 2:41pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,हमेशा की तरह ये कविता भी पसन्द आई,बहुत ख़ूब वाह वाह क्या कहने,ढेरों बधाई आपको इस उत्तम रचना के लिये स्वीकार करें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
57 minutes ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली अपने थीम के अनुरूप ही प्रस्तुत हुई है.  हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली के लिए हार्दिक धन्यवाद.   यह अवश्य है कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी प्रस्तुति आज की एक अत्यंत विषम परिस्थिति को समक्ष ला रही है. प्रयास…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आवारा मदमस्त सी, नभ में उड़े पतंग ।बीच पतंगों के लगे, अद्भुत दम्भी जंग ।।  आदरणीय सुशील…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"दुःख और कातरता से विह्वल मनस की विवश दशा नम-शब्दों की रचना के होने कारण होती है. इसे सुन्दरता से…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढिया भावाभिव्यक्ति, आदरणीय. इस भाव को छांदसिक करें तो प्रस्तुति कहीं अधिक ग्राह्य हो जाएगी.…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"झूठ के विभिन्न आयामों को कथ्य में ढाल कर आपने एक सुंदर दोहावली प्रस्तुत की है, आदरणीय लक्ष्मण धामी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . उल्फत
"आदरणीय निलेश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, दोहों पर आपके प्रयास सधे हुए हैं. किन्तु, कतिपय दोहे मूलभूत नियमों के…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service