For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परीक्षाएं सिर पर होने से उसका अधिक से अधिक समय कमरे में ही बीतता था I आज फिर भीतर से ही आवाज़ आई थी I ' मॉम आज मटर की दाल बनाओ न !! '
' अच्छा ' कह मैं मुस्कुराई थी I संभवतः उसने सुन लिया था की मैंने आज सब्जी वाले से मटर ख़रीदे हैं I सोचा ,जा कर पूछ लूँ ! ' और कुछ भी चाहिए !!' भीतर गयी तो कमरे में जो नजारा दिखा ,जेहन में एक ही बात आई ' उफ़ ! ये लड़की भी न !! '

पूरे बिस्तर पर खुली-अधखुली किताबें ,कापियाँ। नीचे दबा हुआ कराहता कैलकुलेटर। बिना कैप की कलम और बीच में किताबों पर सिर झुकाये मूर्ति सी वह !! बात अगर यहीं तक होती तो गनीमत थीI
पलंग के सिरहाने छोटा-मोटा सामान रखने के लिए बनी अलमारी के ऊपर चिप्स का पैकेट ,चॉकलेट्स, खाली रैपर्स,पानी की बोतल, ग्लास, चम्‍मच, सूप के पैकेट्स और न जाने क्या क्या ........ उफ्फ्फ !!
‘‘ये सब क्या है बेटू ? सारी चीजें बिस्तर पर !! स्टडी टेबल का भी वही हाल ! ये कैसी पढ़ाई है? तुम्हारा जी नहीं घबराता ऐसे में I ’’ मैंने लगभग डाँटते हुए कहा।
‘‘ मम्‍मी !! प्लीज !! अब परीक्षा का समय है, कौन बार बार उठे ? टाइम वेस्ट होता है I ’’
‘‘टाइम वेस्ट या आलस ?’’
‘‘नहीं मम्‍मी ,एग्जाम टाइम में ऐसे ही अच्छा लगता है। जब मैं अपनी हॉस्टल की सहेलियों के पास ग्रुप स्टडी के लिए जाती हूँ तो वहाँ सब कुछ ऐसे ही रहता है। सब कुछ आसपास नजरों के सामने !! अब तुमने तो मुझे हॉस्टल नहीं भेजा, तो यहीं सही ! मुझे हॉस्टल जैसा फील आता है इस तरह, बस!! ’’ वह शिकायत के अंदाज में बोली I
मुझे उसकी बात का कोई उत्‍तर नहीं सूझा। पर बरबस हँसी जरूर आ गई।
‘‘तुम हँसी क्यों? दीदी भी तो हॉस्टल में ऐसे ही रहती है I’’ वह तुनककर बोली I
दीदी का नाम सुनते ही मुझे कुछ याद आ गया I अरे बाप रे !! आज तो बड़ी बेटी घर आने वाली है। घड़ी में समय देखा, साढ़े दस ! ओह, उसकी ट्रेन तो आ भी चुकी होगी। तभी कालबेल बजी !! दरवाजे पर बड़ी थी शिकायती लहजे में, ‘‘माँ तुम मुझे स्टेशन लेने नहीं आईं ?’’
‘‘अरे ये छोटी छोड़े तब आऊँ न। ’’ मैंने कहा।
‘‘क्‍यों क्‍या हुआ? और वह है कहाँ? ’’ मैं कुछ कहती ,इससे पहले ही वह अपना बैग एक ओर रखकर छोटी के कमरे में पहुँच गई। पीछे -पीछे मैं भी। कमरे का नजारा देख वह भी हैरान रह गई। पूछ बैठी, ‘‘ये सब क्या है छोटी ? ’’
‘‘अरे दीदी, तुम!! देखो लग रहा है न बिलकुल हॉस्टल के कमरे जैसा,सेम सेम !! ’’ उत्साहित होकर छोटी बड़ी के गले लग गई।
‘‘ बिलकुल बुद्धू है , तू क्या जाने ! हॉस्टल के उस छोटे से कमरे में हम किस तरह मजबूरी में अपना समय अपनों के बिन काटते हैं। तू तो माँ के साथ है। इतना बड़ा कमरा और खुला आसमान है तेरे पास। हमें तो बस आसपास खामोश दीवारें ही नजर आती हैं। अपनों के प्यार और घर के सुकून के लिए तरस जाते हैं हम I’’ कहते हुए गला भर्रा गया उसका।
छोटी ने बड़ी को और जोर से भींच लिया। मानो उसके दर्द को वह भी महसूस कर लेना चाहती हो। उसकी नजर मेरी ओर उठ गई थी। मैं आँचल से अपनी भीग आई आँखों को पोंछ रही थी और वह बहन के दुप्‍पटे से अपनी।

मीना पाण्डेय
मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 519

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by meena pandey on December 29, 2015 at 9:13pm

हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी मई आपकी बात का संज्ञान अवश्य लुंगी I धन्यवाद सहित 

Comment by meena pandey on December 29, 2015 at 9:11pm

हार्दिक आभार आदरणीय pratibha  pande  जी 

Comment by meena pandey on December 29, 2015 at 9:10pm

आदरणीय कांता जी लघुकथा की बारीकियों को इस प्रकार समझने के उपक्रम से अभिभूत हूँहार्दिक आभार इसके लिए मई आपकी बात का संज्ञान अवश्य लुंगी धन्यवाद सहित I 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 23, 2015 at 6:54pm

बहुत अच्छा लिखा है आपने मीना जी ,मैं आ० कांता जी की बात से भी सहमत हूँ कहीं न कहीं उस पञ्च लाइन की कमी महसूस हुई जो लघु कथा को विशेष बनाती है |फिर भी आपको इस सुन्दर रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई| 

Comment by pratibha pande on December 22, 2015 at 7:13pm

बाहर निकल कर ही बच्चों को माँ और उसके साथ की कीमत पता पड़ती है ,बहुत अच्छी कथा सधे कथ्य और शिल्प के साथ ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया मीना जी 

Comment by kanta roy on December 22, 2015 at 12:59pm

आपकी लेखन बहुत अच्छी है ,भावों को पिरोना  भी खूब जानती है ,इसलिए पहले बधाई प्रेषित करती हूँ।  बाकी बात अब विधा सम्मत करे तो   यहां आपका " मैं " भाव ने , ये मात्र  संस्मरण यानी आपकी कथा  बन कर रह  गयी। लघुकथा सन्देश स्थापित करते हुए जैसे  एकदम से चूक  गयी ,ऐसा मेरा मानना है। सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service