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अतुकांत कविता : प्रतिनिधि (गणेश जी बागी)

मैं सड़क हूँ
मुझे तैयार किया गया है
रोड रोलरों से कुचल कर.


मुझे रोज रौंदते हैं 
लाखों वाहन
अक्सर....
विरोध प्रदर्शन का दंश
झेलती हूँ
अपने कलेजे पर
होता रहता हैं
पुतला दहन भी
मेरे ही सीने पर
विपरीत परिस्थितियों में
मैं ही बन जाती हूँ
आश्रय स्थल
कई कई बार तो
प्राकृतिक बुलावे का निपटान भी
हो जाता है
मेरी ही गोद में


फिर भी.....

मैं सहिष्णु हूँ
या
असहिष्णु !
यह तय करते हैं
कथित बुद्धिजीवी.


मैं सड़क हूँ
एक सच्ची प्रतिनधि
इस देश की.

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट =>लघुकथा : शातिर

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Comment

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Comment by kanta roy on December 1, 2015 at 10:48am
वाह ! बखूबी निर्वाह हुआ है सच्चे प्रतिनिधित्व का आपकी इस अनुपम रचना में आदरणीय गणेश जी बागी जी , बधाई स्वीकार करें ।
Comment by प्रदीप नील वसिष्ठ on December 1, 2015 at 9:36am

क्षमा करें बागी जी , मैंने आपके उत्साहवर्धन के लिए नहीं लिखा।
मैंने वही कहा जो आपकी रचना पढ़ कर मेरे मुंह से निकला। आप में व्यंग्य-प्रतिभा है।
बस इतना जरूर याद रखिएगा कि अब आपकी जिम्मेवारी बहुत बढ़ गई , कमज़ोर रचना न आने पाए
इति शुभम्


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 1, 2015 at 9:25am

आदरणीय प्रदीप नील जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पाकर हृदय प्रफुलित है. आपका आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 1, 2015 at 9:24am

आदरणीय श्याम बिहारी जी, सराहना हेतु आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 1, 2015 at 9:23am

आदरणीय समर साहब, आपकी प्रतिक्रिया अवश्य ही मेरे आत्मबल में वृद्धि करेगी, बहुत बहुत आभार.

Comment by प्रदीप नील वसिष्ठ on November 30, 2015 at 9:18pm

बहुत खूब बागी जी।  प्रतीक समझने वाले समझ ही जाएंगे।  आपकी व्यंग्य-प्रतिभा को नमन 

Comment by Shyam Narain Verma on November 30, 2015 at 4:18pm
इस सुंदर प्रस्तुति के लिए तहे दिल बधाई सादर
Comment by Samar kabeer on November 30, 2015 at 2:30pm
जनाब इ.गणेश जी 'बाग़ी' जी आदाब,आपकी कविता पसंद आई, बहुत अच्छा विषय चुना है आपने और उसको निभाया भी ख़ूब है,ढेरों दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 29, 2015 at 7:35pm

उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय तेज वीर सिंह जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 29, 2015 at 7:34pm

उत्साहवर्धन और आशीर्वाद हेतु हृदय से आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी.

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