For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जालिम की दलीलें (लघुकथा )राहिला

"देखो,बच्चे बहुत थक गये है और तुम्हारी हालत भी खस्ता हो रही है । हम खच्चर कर लेते है । ये सुनते ही वो कर्कशा!सुपरिचित वाणी में कूकी-"वाह जी वाह!!फिर कैसी यात्रा?अरे थोड़ा बहुत कष्ट तो होता ही है।फिर मेरी सहेलियां कह रही थीं कि जो पुण्य पैदल वैष्णों देवी जाने में है वो...."उसने अपनी बात को वजनी बनाने में दुनिया की दलीलें दे डाली । मैं उसके स्वभाव से बहुत अच्छी तरह वाकिफ़ था,यात्रा में कोई बदमज़गी ना हो इसलिये हमने उसके आगे हथियार डाल दिये।और चल पड़े । हम खरगोश ना सही,परन्तु वो जरूर कछुये की चाल से आगे बढ़़ रही थी।लेकिन उसकी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी ।थोड़ी देर बाद जब हमने पीछे मुड़कर देखा तो वो दूर-दूर तक नजर नहीं आई।हम उसके इंतेजार में वहीं बैठ गये।लगभग दस मिनट बाद वो हमें दिखाई दी,कुछ बिलकुल नई ताजा तरीन दलीलों के साथ,शान से खच्चर पर सवार।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 951

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on November 19, 2015 at 11:24am
बहुत शुक्रिया आदरणीय तेज वीर सिंह जी और आदरणीय उस्मानी जी रचना आपको पसंद आई बहुत आभार ।
Comment by saalim sheikh on November 19, 2015 at 12:10am

बेहद उम्दा ! आपकी ये लघुकथा  पढ़ कर  जो बेसाख्ता मुस्कराहट होठों पर  आ जाती यही इसे एक अलग मुक़ाम देती है , बधाई !

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 18, 2015 at 11:03pm
बहुत अच्छा व्यंग्य आज के ज़माने के फ़ितरत बाज़ लोगों पर।हार्दिक बधाई आदरणीया राहिला जी
Comment by pratibha pande on November 18, 2015 at 10:47pm

कई लोग अपने आपको हर हालत में सही साबित करने पर लगे रहते हैं  ',लगभग दस मिनट बाद वो हमें दिखाई दी,कुछ बिलकुल नई ताजा तरीन दलीलों के साथ,शान से खच्चर पर सवार ',बहुत अच्छी बनी हैं ये पंक्तियाँ बधाई आपको राहिला जी 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 18, 2015 at 4:23pm
ज़माने के चलन की एक तस्वीर दिखाती बढ़िया प्रस्तुति। कहें कुछ, करें कुछ । बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया राहिला जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on November 18, 2015 at 11:15am

लाज़वाब लघुकथा आदरणीय राहिला जी!लोग दूसरों के लिये नसीहतें देने में कोई कसर नहीं रखते मगर उन पर खुद आचरण करना कितना कठिन लगता है!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service