For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर द्वारे हम दीप जलाएं, उत्सव की हो शाम सदा

झूम झूम कर खूब नाचता, जंगल में है मोर सदा |

 

क्षण भंगुर ये जीवन अपना,

कर्म करे से सधता सपना |

रोने से क्या कुछ मिल पाए ?

आओ सब मिले हाथ मिलाएं, काम बाँटते रहे सदा,

हर द्वारे हम दीप - - - - - - - -

 

आतंक का मिल करे सामना,

रहे न ह्रदय में हीन भावना |

सबके सुख के दीप जलाएं

सब मिल डर को दूर भगाएं, ह्रदय भरे विश्वास सदा 

हर द्वारे हम दीप - - - - - -- - -

 

जात पात का भेद मिटाएँ

रंग भेद अब दूर भगाएं |

प्रेम भाव बढ़ता ही जाएं

घर घर में उजियारा छाएँ, सभी रहे खुशहाल सदा

हर द्वारे हम दीप - - - - - - - -

 

भारत माँ की लाज बचाएं

विश्व गुरु फिर से कहलाएं

व्यभिचारी को सजा दिलाएं

सत्ता में सेवक को लाएं, बढे देश का मान सदा

हर द्वारे हम दीप -- - - - - - - 

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

-लक्ष्मण रामानुज लडीवाला 

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 24, 2015 at 11:31am

हार्दिक  आभार  आदरणीय श्री रर गिरिर्राज  भंडारी  जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 20, 2015 at 10:54am

जी आदरणीय, मनुष्य के पारिवारिक परिवेश और शिक्षा दीक्षा के अनुरूप ही स्वभाव, उसकी सोच, उसकी जीवन शैली, उसकी प्रकृति |

उसका साहित्य उसका आईना | तुकान्तता साधने का और प्रयास रहेगा  आदरणीय | आपका बहुत बहुत आभार श्री सौरभ भाई जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2015 at 7:56am

आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सुन्दर भाव पूर्न गीत रचना हुई है , आपको दिली बधाइयाँ । बाक़ी बातें , आ. सौरभ भाई कह ही चुके है । ध्यान दीजियेगा ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 19, 2015 at 10:48pm

आपकी संवेदना का प्रतिफल यह गीत है, आदरणीय !  मैं संभवतः इस मंच पर आपका कोई पहला गीत देख रह हूँ.  आपके प्रयास पर हृदय से बधाइयाँ !

वैसे, प्रस्तुत गीत की तुकान्तता पर तनिक और संयत होना होगा. मैं आदरणीय मिथिलेशजी की बातों से सहमत हूँ. 

शुभेच्छाएँ 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 18, 2015 at 3:42pm

हार्दिक आबार श्री मिथिलेश वामनकर जी | संशोधन का प्रयास किया, कृपया पुनः अवलोकन करे | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 17, 2015 at 4:40pm

आदरणीय लक्ष्मण सर बहुत सुन्दर गीत हुआ है इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

एक निवेदन- प्रस्तुति में तुकान्ता का निर्वहन भी हो गया होता तो प्रस्तुति का सौन्दर्य बढ़ जाता. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
12 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service