For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"दो लावणी छंद व दो मुक्तक " - [काव्य रचना] / शेख़ शहज़ाद उस्मानी

दो छंद व दो मुक्तक --

दो लावणी छंद--

[30 मात्रा/ 16 व 14 पर यति/ अंत में 21वर्जित
/ मापनी मुक्त]


कराये जब स्तनपान शिशु को,
माँ ममता ही बरसाये,
आधुनिका तो बस तरसाती,
ख़ुद ममता को झुठलाये।
इतरा रही हैं नव- वधुयें,
आधुनिक सोच अपनाकर,
पश्चिमी फैशन की नकल पर,
शरीर अपना ढलवाकर।
[1]

यकीन नहीं तो यकीन करो,
रिश्ते बनते जाएंगे,
यकीन के दम पर सब जीते,
सभी प्रेम बरसायेंगे।
आस्था छोड़ी जिसने प्रभु पर,
विश्वास उसी ने खोया,
जन-जन से वही दूर होकर,
किस्मत पर अपनी रोया ।
[2]

लावणी छंद-आधारित उपरोक्त दोनों छंदों से दो मुक्तक--

कराये जब स्तनपान शिशु को,
माँ ममता को बरसाये,
आधुनिका क्यों तू तरसाती,
ख़ुद ममता को झुठलाये।
इतरा रही है अब नव- वधु,
आधुनिक सोच अपनाकर,
पश्चिमी फैशन की नकल पर,
शरीर अपना ढलवाये।
[1]

यकीन नहीं तो यकीन करो,
रिश्ते बनते जाएंगे,
यकीन के दम पर सब जीते,
सभी प्रेम बरसायेंगे।
आस्था छोड़ी जिसने प्रभु पर,
विश्वास उसी ने खोया,
जन-जन से वही दूर होकर,
ख़ुद पर दांव लगायेंगे।
[2]

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1444

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 3:32am
मेरी इस रचना पर समय देने हेतु सभी पाठकों को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 29, 2015 at 11:18pm
आदरणीय डॉ.गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, रचना पर उपस्थित हो कर मार्गदर्शन करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद। मुझे "पय" जैसे शब्दों का ज्ञान नहीं है, अत्यल्प शब्द ज्ञान होने से भी लयबद्ध सृजन करने में परेशानी होती है, सीखने की शुरुआत हुई है। आपके द्वारा दिए गए उदाहरण से मुझे रचना की कमी समझ आ सकी है, और प्रयास करूँगा।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 28, 2015 at 9:41pm

आ० उस्मानी जी , आप बड़ा श्रम करते है किन्तु मित्र मैं पहले भी कह चुका हूँ केवल मात्रा निभा  लेने से छंद सिद्ध् नहीं  होता  जैसे - गोविन्द  गुरु दोऊ खड़े  और गुरु गोविन्द दौऊ खड़े  में सामान मात्रा  है पर दोहे के लिय प्रथम विन्यास गलत है . वैसे  हर छंद गेय होता है यदि मात्रिक  विन्यास में प्रवाह नहीं है तो गेयता बाधित होती है . आप अपनी रचना गाकर देखें क्यासभी पंक्तियों में समान प्रवाह है - पहली पंक्ति को यदि इस प्रकार लिखें तो प्रवाह कैसा होगा-- जब पय पान कराये शिशु को , माँ ममता ही बरसाये -------इतरा रही हैं नव बधुयें में 16 के स्थान पर केवल 15 मात्रायें है . एकबार पुनः आपके श्रम को नमन --- अभ्यास कविता को मांजता है .... आमीन .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service