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फूल चोर

"फूल चोर"

मंदिर में वर्मा जी की थाली में अपने बागीचे के विदेशी फूल देखकर वृंदा के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। वे पूजा की थाली हाथ में पकडे मूर्ति के सामने खड़े हुए थे, जिसे देखकर वृंदा के चेहरे पर अविश्वास और क्रोध के मिश्रित भाव उभर आए।

दरअसल बचपन से ही वृंदा को जूनून की हद तक बागवानी का बेहद शौक था। तरह तरह से रंग सजावटी पौधों, हरी भरी घास, रंग बिरंगे फूलों तथा विभिन्न प्रकार के बेल बूटों से भरा बगीचा पूरी कॉलोनी में चर्चा का विषय बन चुका था। जो भी देखता, बगीचे और वृंदा की मुक्तकंठ से प्रशंसा करता। उनके पडोसी वर्मा जी का बग़ीचा भी कुछ कम नहीं था, किन्तु लोगों द्वारा वृंदा की इतनी प्रशंसा करना उन्हें फूटी आँख नहीं सुहाता था। पिछले कुछ दिनों से बग़ीचे में खिले हुए दुर्लभ फूल ग़ायब होने शुरू हो गए जिनके बीज विदेश से मंगवाए गए थे। आज वृंदा जब मंदिर जाने के लिए निकली तो अपने फूल विहीन उन पौधों को देख तड़प कर रह गई।

मंदिर में वृंदा को देखते ही वर्मा जी चौंके, लेकिन स्थिति को भांपते हुए वह तेज़ी से मूर्ति की तरफ बढे। वृंदा से नज़रें चुरा कर उन्होंने बहुत हड़बड़ी में फूल अर्पित किये, जल चढ़ाया। किन्तु जैसे ही भगवान शिव की तरफ देखा तो वह कांप उठे। आज भगवान शिव के चेहरे पर निर्मल मुस्कराहट के स्थान पर क्रोध था, और उनके माथे पर तीसरी आँख उभर रही थी। शिव का यह रौद्र रूप देखकर वर्मा जी के सूखे हलक से केवल यही निकल पाया::
"सॉरी वृंदा !"

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Nita Kasar on October 20, 2015 at 1:45pm
इसी प्रश्न ने मुझे व्यथित कर रखा कि सचमुच चोरी के फूल से भगवान ख़ुश होते है क्या कथा पर राय व्यक्त करने के लिये आभार आपका आद०पंकज जोशी जी ।
Comment by Pankaj Joshi on October 20, 2015 at 12:24pm
चोरी तो चोरी होती है भगवान की नजरों में चाहे वे उनकी पूजा अर्चना के लिए ही क्यों ना हो । सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय जी ।
Comment by pratibha pande on October 20, 2015 at 12:07pm

बागवानी प्रेमी की कलम से निकली कथा लग रही है ये , फूलों सी महकती कथा  के लिए हार्दिक बधाई आपको आदरणीया 

Comment by TEJ VEER SINGH on October 19, 2015 at 9:25pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नीता कसार जी!बहुत प्रेरक और सुन्दर लघुकथा!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2015 at 7:09pm
अन्तर्मन सत्य एवं क्षमा की स्वीकारोक्ति करा लेता है। बहुत सुंदर भावपूर्ण अनुपम कृति आदरणीया Nita Kasar जी

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