For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुम्हारी / लघुकथा

बाजार में बहुत भीड़ थी आज । क्यों ना हो ,नवरात्रि का पहला दिन, लोग सुबह से ही स्नान ध्यान कर पूजा-पाठ की तैयारी में लगे हुए थे ।
मै भी स्नान कर ,कोरी साड़ी पहन, नंगे पैर माता रानी को लिवाने आई थी । फुटपाथ के उसी निश्चित कोने में , माता रानी विविध रूपों में मुर्ति रूप लिये दुकानों में सज रही थी । कहीं तीन मुंह वाली शेर पर सवार थी , कहीं अपने अष्टभुजा में सम्पूर्ण शस्त्रों के साथ , तो कहीं दस भुजा लेकर महिषासुर का वध करती हुई । काली ,चामुण्डा सबके दर्शन हुए लेकिन मै लेकर आई हमेशा की तरह अष्टभुजी माँ दुर्गा सिद्धीधात्री को ।
वहीं मिट्टी के दिये लेते हुए किनारे रोड पर जाकर नजर जैसे अटक गई । एक युवक रोड पर किनारे बेहोश सा पडा हुआ था ।
" क्या देख रही है वहाँ , वो बेवडा है ,पीकर टुन्न है ।"
" क्या , बेवडा ? "
मुझे टकटकी लगा कर चकित हो उसे देखना कुम्हार को पसंद नहीं आया हो जैसे । वो मुंह बना रहा था , शायद वह उसको प्रतिदिन देखने का आदी रहा हो , लेकिन इतने करीब से उसे देखना मेरा ,वो भी सुबह के ऊजाले में ,मेरे लिए यह दृश्य स्तब्ध करने वाला था कि कमाने ,,खाने और खिलाने के उम्र में यह ऐसे सड़क के किनारे बेवडा बनकर .....!
चौराहे पर रंगीन ब्लबों की लडियाँ और माता के नाम के पताके सजाये जा रहे थे । एक तरफ जिंदगी विविध रंगों से सरोबार होकर त्योहार मनाने को आकूल थी तो दूसरी तरफ ये यहाँ ,इस तरह जिंदगी से दूर ।
घर आते वक्त उस " बेवडे " युवक का चेहरा बार - बार आँखों के सामने कौंध रहा था ।
एकदम गोरा सा गोल सुंदर चेहरा , घनी सी भौंहे । सोच रही थी कि जिस दिन ये पैदा हुआ होगा , कितनी खुशियों का जनम हुआ होगा इसके साथ ।इतने गोरे से मुख वाले बच्चे को किस - किस उपमे से नवाजा गया होगा उस दिन । किसी ने राम, तो किसी नें नारायण के जन्म का होना भी कहा होगा । माता - पिता ने कितनी बधाइयां कबूल की होंगी इसके पैदा होने पर ।

प्रत्येक बच्चे का जन्म इस पृथ्वी पर कोमल माटी सा एक समान ही होता है , फिर जिसका जैसा नसीब , वैसा कुम्हार मिलता है । कच्चे हाथों में जाकर इस कोमल मिट्टी (बच्चे) के अंदर पर्याप्त गुण होने के बाद भी , मानों तो जैसे बहुत बडा नुकसान हो गया । अनपढ़ , अप्रशिक्षित कुम्हार ने मिट्टी के जीवन को व्यर्थ कर गया । ईश्वर भी इन अपरिपक्व सृजकों पर अवश्य क्षोभ प्रकट कर रहें होंगे ।
कौन दोषी था उस युवक को बेवडा बनाने में ?
मेरे मन के प्रश्न मन में ही लटकते रह गये और गाड़ी कब घर पहुँच गई मालूम ही नहीं पड़ा ।
"जय दुर्गा माई " के जयकारे के साथ माता रानी को सिर पर रख स्थापित जगह पर वास देकर घट स्थापना की तैयारी में लग गई । चिंतन अबतक जारी था ।


मौलिक और अप्रकाशित

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vijay Joshi on October 16, 2015 at 11:27pm
रचना लम्बाई में बड़ी है। शब्द संतुलित है। कहीँ भी बिफरने न दिया। बधाई।
Comment by Shyam Narain Verma on October 15, 2015 at 6:08pm

बहुत सुंदर, भावनाओं से परिपूर्ण इस लघुकथा के लिये बहुत-बहुत बधार्इ स्वीकारें। सादर,

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 14, 2015 at 2:58pm
बहुत अच्छा विषय, अच्छे तरीके से उठाया है लेखिका ने। उत्तम सृजन के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आदरणीया Kanta Roy जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 14, 2015 at 12:16pm

हार्दिक बधाई आदरणीय कांता रॉय जी!बहुत ही मर्म स्पर्शी चित्रण किया है!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
9 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
14 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service