For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंतहीन अवकाश ( लघुकथा )//शशि बंसल

अंतहीन अवकाश ( लघुकथा )//शशि बंसल
=============================

मुसलाधार बारिश होने के कारण आज अस्पताल से अवकाश ले घर पर ही थी ।काम से फ़ारिग़ हुई तो खिड़की पर आ बैठी ।नीचे झाँका , गली में ज्यादा रौनक नहीं दिखाई दी ।दो-तीन स्कूली बच्चे थे , जो सड़क पर भरे हुए पानी में उछल-कूद करते हुए हँस रहे थे । सामने की दुकानों ने भी ग्राहकी न होते देख आधे शटर गिरा दिए थे । कुछ रिक्शेवाले रिक्शे खाली छोड़ सामने गुमटी पर गरम - गरम चाय की सुड़कियाँ लगा रहे थे । तभी एक रिक्शा गाड़ी आते हुए दिखाई दी, ' अरे ,ये तो माँझी काका हैं ।इतनी बारिश में ......? ' , " माँझी काका..... क्या आज ही मरने की ठान ली है ? पता है न...... दमा जानलेवा हो चुका है..... घर नहीं बैठ सकते थे....इतनी बारिश में सवारी ढोने निकल पड़े ....अब आना दवा लेने .....।" मैं खिड़की से ही चिल्लाई ।

उसने आवाज की दिशा में देखा और बारिश को चीरती हुई तेज़ आवाज में बोला , " डॉक्टर साहिबा , घर तो रात ही में ढह गया , जो चार जीवन बचे हैं ,उन्हें ही ढोने निकला हूँ , आप दवा भले न देना पर दुआ जरूर करना कि अब के मानसून हमें भी लंबी छुट्टी मिल जाये । " माँझी आँसु पौंछते हुए आगे बढ़ गया । बारिश भी अब थम चुकी थी ।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on October 6, 2015 at 7:44am

आदरणीया शशि जी ,  कथा का शिल्प कसावट लिए है और मर्म दिल को छूने वाला ,बधाई आपको 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 5, 2015 at 8:55pm

नियति के सामने हिदायत  लाचार . आदमी की जिन्दगी  है ही ऐसी . खूबसूरत कथा.

Comment by Sushil Sarna on October 5, 2015 at 7:37pm

मुझे बेहिसाब तिश्नगी देने वाले
मैं क्यों बेहिसाब न पिया करूँ


दिल को मार्मिकता से नाम करती इस लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई। बहुत ही यथार्थपरक चित्रण हुआ है।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 5, 2015 at 6:51pm
आजादी के इतने साल भी गरीब उन्ही जीवनयापन के सवालो में घिरा है..देश में गरीब की स्थिति का वास्तविक चित्रण करती सशक्त लघुकथा पर हार्दिक बधाई आदरणीया।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 5, 2015 at 3:35pm
मार्मिक चित्रण।बधाई
Comment by kanta roy on October 5, 2015 at 3:20pm

रिक्शेवाले की जिंदगी की जद्दोजद को बखूबी बयान किया है आपने आदरणीय शशि जी।  बधाई स्वीकार करें। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service