For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"चिंगारियां"- (लघु कथा)

"चिंगारियां" - (लघु कथा)

"और ये देखो मनोविज्ञान और समाजशास्त्र के वो नोट्स जो तुमने मुझे सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए मुझे दिये थे।इन्हें आज भी मैं संभाल कर रखे हुए हूँ। "- अस्त-व्यस्त से कमरे में वीरेंद्र ने पाँचवीं सिगरेट से एक लम्बा सा कश लेते हुए कहा- " सुमित , तुमने मेरे अंदर भी एक चिंगारी पैदा कर दी थी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए.... और विश्वास करो... वह एक आग में भी तब्दील हो गई थी तुम्हारे नियमित सान्निध्य में। तुम एक सच्चे दोस्त और मार्गदर्शक बने रहे मेरे..... असीम लगन और मेहनत से तुम तो आई.ए.एस. अधिकारी बन गये। लेकिन....."

"...लेकिन क्या ? हो क्या गया था ?"- सुमित ने कक्ष की दीवारों पर लगे चित्र और पोस्टरों पर नज़रें दौड़ाकर हैरानी से पूछा।

"मित्र, एक बार तुम्हारे यही महत्वपूर्ण नोट्स मेरे एक मुँह लगे परिचित ने देख लिये तो ज़िद करके वह इन्हें ले गया।.... दो माह बाद जब इन्हें
वापस लेने मैं स्वयं उसके किराए वाले कमरे पर पहुंचा....तो उसने एक ऐसी मायावी चिंगारी उत्पन्न कर दी मेरे अंदर जिसकी परिणति भीषण आग के रूप में होने में देर न लगी। मैं..... मैं स्वयं उन लपटों में उससे भी ज़्यादा उलझ गया...और आज तुम्हारे सामने इस हाल में हूँ ...... अकेला......अविवाहित !"

_मौलिक एवं अप्रकाशित
_शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी म.प्र.

Views: 345

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 22, 2015 at 11:29pm
हौसला बढ़ाने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय
Tej Veer Singh जी
Comment by TEJ VEER SINGH on September 22, 2015 at 8:52pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उसमानी   जी!बहुत सुन्दर  लघुकथा!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
1 hour ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service