For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तृषा जन्मों की .....

तृषा जन्मों की .....

मर्म धर्म का समझो पहले
फिर करना प्रभु का ध्यान
क्या पाओगे काशी में
है हृदय में प्रभु का धाम
पावन गंगा का दोष नहीं
सब है कर्मों का फल
अच्छे कर्म नहीं है तो फिर
गंगा सिर्फ है जल
मानव भ्रम में जीने का
क्यों करता अभिमान
सच्चा सुख नहीं तीरथ में
व्यर्थ भटके नादान
कर्म प्रभु है, कर्म है गंगा
कर्म है सर्वशक्तिमान
राशि रत्न और ग्रह शान्ति से
कैसे मुशिकल हो आसान
अपने मन की कंदरा में
तू झाँक जरा इंसान
तुझमें ही वो छुप कर बैठा
देख तेरा भगवान
सच्चे मन से उसका हो जा
कर उसका ही ध्यान
तृषा जन्मों की मिट जाएगी
होगा तेरा कल्याण

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 21, 2015 at 1:12pm

आदरणीयागिरिराज भंडारी जी रचना के मर्म पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 21, 2015 at 12:07pm

आदरणीय सुशील भाई , सच कहा आपने कर्म ही प्रधान है ! सुन्दर सीख देती आपकी रचना के लिये बधाई आपको ।

Comment by Sushil Sarna on September 18, 2015 at 3:42pm

आदरणीया प्रतिभा जी रचना के मर्म पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on September 18, 2015 at 3:41pm

आदरणीय  Manoj kumar Ahsaas  जी आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on September 18, 2015 at 3:40pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on September 18, 2015 at 3:40pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by pratibha pande on September 17, 2015 at 9:01pm

मर्म धर्म का समझो पहले 
फिर करना प्रभु का ध्यान 
क्या पाओगे काशी में 
है हृदय में प्रभु का धाम

ये मर्म समझ में आ जाये तो स्वयंभू भगवानों की शरण में लोग  जाएँ ही क्यों ,बहुत  सार्थक प्रस्तुति ,बधाई आपको आदरणीय 

Comment by मनोज अहसास on September 17, 2015 at 8:37pm
बहुत सूंदर आदरणीय सुशील सरना सर जी
धर्म का वास्तविक स्वरुप आपने बड़े सहज ढंग से समझाया है
सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 17, 2015 at 8:01pm

सच्चे मन से उसका हो जा
कर उसका ही ध्यान
तृषा जन्मों की मिट जाएगी
होगा तेरा कल्याण--------------------------सुन्दर विचार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 17, 2015 at 5:22pm

आदरणीय सुशील सरना सर, बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है हार्दिक बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
14 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
15 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
15 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service