For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओस के शबनमी कतरों में …

ओस के शबनमी कतरों में …

सर्द सुबह
कोहरे का कहर
सिकुड़ते जज़्बातों की तरह ठिठुरती
सहमी सी सहर

ओस की शबनम में भीगी
चिनार के पेड़ों हिलाती
आफ़ताब की किरणों को छू कर गुजरती
हसीन वादियों की बादे-सबा
रूह को यादों के लिबास में लपेट
जिस्म को बैचैन कर जाती है

तुम आज भी मुझे
धुंध में गुम होती पगडंडी पर
खड़ी नज़र आती हो


मैं बेबस सा
अपने तसव्वुर में
हर शब-ओ-सहर बिताये
हसीन लम्हों से
गुफ़्तगू करता रहता हूँ
हर जलते चराग में
अपनी तिश्नगी को जवां पाता हूँ

आज भी
बिस्तर पर बिखरे
गज़रे के फूलों की वो महक
तेरी करीबी का अहसास देती है
मेरे बदन को
तेरे साँसों की छुअन
मेरे वुज़ूद को सांस देती है

अचानक कोई बेरहम लम्हा
मेरा सोया ज़ख़्म कुरेद देता है
मेरी मुहब्बत को
बेवफाई में समेट लेता है
बेबसी के आलम में
ज़मीन पर बिछी ओस की चादर पर
तेरी चाहत को अपने ज़हन में ज़िंदा रखे
दूर तक नंगे पाँव चला जाता हूँ


इक साये सी
तू धुंध में नज़र आती है
फिर पगडंडी में कहीं खो जाती है
मैं तन्हा रह जाता हूँ
आँखों की नमी छुपाता हूँ
ओस के शबनमी कतरों में
तेरे अक्स पे मुस्कुराता हूँ


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित



Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 15, 2015 at 12:33pm

आदरणीय  shree suneel  जी रचना पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति का हार्दिक आभार । आदरणीय आपका सुझाव स्वागतेय है इसे हम 'ओस की बूंदों में ' कर सकते है। बहरहाल आपके सुझाव का हार्दिक आभार। 

Comment by shree suneel on September 15, 2015 at 10:01am
आदरणीय सुशील सरना सर जी, ख़ूबसूरत जज्बात पिरोये हैं आपने इस रचना में.
'तुम आज भी मुझे
धुंध में गुम होती पगडंडी पर
खड़ी नज़र आती हो'... अच्छी तस्वीर आदरणीय.
'ओस की शबनम 'में बदलाव की गुंजाइश है...
हार्दिक बधाई आपको इस ख़ूबसूरत प्रस्तुति पर. सादर
Comment by Sushil Sarna on September 14, 2015 at 8:03pm

आदरणीय amod bindouri जी रचना पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति का हार्दिक आभार

Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 14, 2015 at 2:25pm
आ सुशील सर
क्या बात है
आप ने तन्हाई का इतना सुन्दर चित्रण भाव पूर्ण रचना
बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service