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ग़ज़ल- तुम मिले तो धडकनों में फिर रवानी सी लगी।

2122 2122 2122 212

तुम मिले तो धडकनों में फिर रवानी सी लगी।
तुम मिले तो जिन्दगानी जिन्दगानी सी लगी।

तुम मिले तो आज ये दुनिया सुहानी सी लगी।
तुम मिले तो सच मुहब्बत जाविदानी सी लगी।

तुम मिले तो दिल के हर इक मोड पर खुशियाँ सजी।
तुम मिले तो साँस सुख की राजधानी सी लगी।

तुम मिले तो प्यार का हर एक किस्सा दिलरुबा।
मुझको अपनी और तेरी ही कहानी सी लगी।

जब तुम्हें पहली दफा देखा मेरे जज्बात ने।
तुम कोई पिछले जनम की जानी जानी सी लगी।

तुम मिले तो चाँदनी,खुशबू,कली,शबनम,फिजा।
सच कहूँ सब ही तुम्हारी नौकरानी सी लगी।

इस कदर 'राहुल' तुम्हारे प्यार में पागल हुआ।
तुमको देखा तो उसे तुम भी दीवानी सी लगी।

मौलिक व अप्रकाशित ।

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Comment by shree suneel on September 8, 2015 at 12:49am
आदरणीय राहुल दांगी जी, ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही आपने. हार्दिक बधाइयाँ आपको. सादर.
Comment by Samar kabeer on September 7, 2015 at 10:41pm
जनाब राहुल डांगी जी,आदाब,वाह वाह वाह,वाक़ई आपकी ग़ज़ल शब्दों की रवानी के साथ बह रही है,क्या कहने बहुत ख़ूब,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by Rahul Dangi Panchal on September 7, 2015 at 9:00pm
शुक्रिया Jaynit भाई जी।
Comment by जयनित कुमार मेहता on September 7, 2015 at 8:42pm

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ रची है आपने.. बधाई स्वीकार करें..! :-)

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