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ग़ज़ल :- जो समझा आपने ऐसा नहीं मैं

मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन

जो समझा आपने ऐसा नहीं मैं
मुसलमाँ हूँ ,मगर सच्चा नहीं मैं

मैं सच हूँ,और हमेशा सच रहूँगा
किसी भी झूट से डरता नहीं मैं

दुआओं से मुझे फ़ुर्सत नहीं थी
तुम्हारी याद में रोया नहीं मैं

कटी ऐसे ही सारी रात यारों
वो बहलाते रहे ,बहला नहीं मैं

मुझे तो आब-ए-कौसर की तलब है
तिरे दरियाओं का प्यासा नहीं मैं

मिरा "मसरूर" अक्सर बोलता है
बड़ा समझो मुझे बच्चा नहीं मैं

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by Samar kabeer on August 24, 2015 at 11:24pm
आली जनाब डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 24, 2015 at 11:22pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 24, 2015 at 11:18pm
जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 24, 2015 at 11:15pm
जनाब दिनेश कुमार जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 24, 2015 at 11:13pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 24, 2015 at 11:10pm
जनाब विजय निकोरे जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 24, 2015 at 11:08pm
जनाब रवि शुक्ल जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 24, 2015 at 11:05pm
जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 24, 2015 at 11:03pm
जनाब हर्ष महाजन जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 22, 2015 at 4:56pm

बढ़िया आसान लफ्जों में   वाह .

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