For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा – अंतर

रवि महेश के अनर्गल प्रलाप को यह सोच कर अनदेखा कर देता है कि हाथी चले बाजार , कुत्ते भूके हजार, “ इस पागल के मुंह कौन लगे. जब मुंह दुखने लगेगा, चुप हो जाएगा.”

और महेश यह सोच कर अनर्गल प्रलाप करता है , “ दुनियां में बहुत से लोग ढीठ, बेशर्म, नालायक और पागल  होते है . जब तक उन्हें अंटशंट न बोला जाए और गालीगुप्ता न की जाए वे काम नहीं करते है.”

                           -----------------------------------

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 479

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 20, 2015 at 5:33pm

अपना अपना नजरिया , बढ़िया रचना | बधाई आदरणीय..

Comment by Omprakash Kshatriya on July 20, 2015 at 7:07am

आदरणीय मिथिलेश वामनकर  जी 

प्रणाम .

इस बार समालोचना नहीं की. इस का मतलब रचना सामान्य ही है .

इस की कुछ कमी बताते तो उसे दूर किया जा सकता था.

आभार आप का 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 19, 2015 at 10:02pm

आदरणीय ओमप्रकाश जी बढ़िया प्रस्तुति. हार्दिक बधाई 

Comment by Omprakash Kshatriya on July 19, 2015 at 10:36am

आदरणीय TEJ VEER SINGH  जी 

आप की लघुकथा पर उपस्थिति एक ख़ुशी का एहसास देती है .

आभार आप का 

Comment by TEJ VEER SINGH on July 19, 2015 at 10:15am

आदरणीय ओम जी,दो व्यक्तियों की सोच के अंतर को बडे सधे हुए तरीके से परिभाषित किया है!हार्दिक बधाई!

Comment by Omprakash Kshatriya on July 19, 2015 at 8:08am
आदरणीय प्रदीप कुमार कुशवाह जी
आप की प्रतिक्रिया के लिए आभार
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 18, 2015 at 11:31pm

दोनों अपनी जगह ठीक , 

वाकई  लघु कथा  में अंतर 

सादर बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
21 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service