For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वफ़ा ढूंढा करोगे लोगों में ( © परी ऍम. 'श्लोक' )

१ २ २ २ १ २ १ २ २ २
पुकारा तुम करोगे लोगों में
मुझे ना पा सकोगे लोगों में

चले जायेंगे जां तेरी लेकर
बने बुत से जियोगे लोगों में

कटेगा भी नहीं सफ़र तन्हा
बेहिस चलते रहोगे लोगों में

मेरे जाने के बाद मुद्दत तक
मेरा रास्ता तकोगे लोगों में

मिलेगी फिर नहीं कभी जानाँ
वफ़ा ढूंढा करोगे लोगों में

© परी ऍम. 'श्लोक'

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 980

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on July 2, 2015 at 9:08pm

वाह..परी बहुत अच्छे .....बहुत बहुत बधाई ..इस प्रयास के लिए

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2015 at 8:41pm

मात्रा  प्रायः  वहां गिरती है जहाँ हम पढ़ने में भी उसे शार्ट का सकें क्योंकि गजल की मात्राये पढ़ने के हिसाब से गिराई जाती है . नियम जानना भी  आवश्यक है .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 2, 2015 at 7:01pm
आ परी जी मात्रा गिराने के नियम समझने के लिए आदरणीय वीनस जी की पोस्ट पढ़ जाइए। लिंक
http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5...
Comment by मनोज अहसास on July 2, 2015 at 5:57pm
बहुत दर्द भरी पुकार और
विदाई के
अहसास में डूबी हुई मार्मिक ग़ज़ल
वाह वाह
बहुत खूब
सादर
Comment by Pari M Shlok on July 2, 2015 at 5:52pm
maharshi tripathi जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका :)
Comment by Pari M Shlok on July 2, 2015 at 5:42pm
मिथिलेश वामनकर जी आपकी टिप्पणी से ग़ज़ल में मौजूद खामियों का मालूम चला आपके मार्गदर्शन हेतु दिल से आभार
Comment by Pari M Shlok on July 2, 2015 at 5:39pm
मिथिलेश वामनकर ji ग़ज़ल में मात्रा को घटाया बढ़ाया जा सकता है इसलिए बेहिस व न का प्रयोग किया। किन्तु यदि सही नहीं है तो बदलाव करेंगे शेर में
Comment by maharshi tripathi on July 2, 2015 at 5:33pm

मेरे जाने के बाद मुद्दत तक
मेरा रास्ता तकोगे लोगों में

मिलेगी फिर नहीं कभी जानाँ
वफ़ा ढूंढा करोगे लोगों में,,,,,,,,,,,विशेष दाद ,,आपकी गजल में निखर आ रहा है ,,बधाई आपको |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 2, 2015 at 5:29pm

आ०  Pari M Shlok जी बढ़िया ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई 

शेर दर शेर बात करे तो--->

पुकारा तुम करोगे लोगों में
मुझे ना पा सकोगे लोगों में..... वैसे बड़ी बात नहीं है मगर ग़ज़ल में ना का प्रयोग परंपरा में नहीं है इसका वज्न 1 ही होता है 

चले जायेंगे जां तेरी लेकर
बने बुत से जियोगे लोगों में.....  बढ़ियाशेर 

कटेगा भी नहीं सफ़र तन्हा
बेहिस चलते रहोगे लोगों में.... बेहिस का वज्न 22 होगा शायद 

मेरे जाने के बाद मुद्दत तक
मेरा रास्ता तकोगे लोगों में..... रास्ता को रस्ता किया जा सकता है बढ़िया शेर 

मिलेगी फिर नहीं कभी जानाँ
वफ़ा ढूंढा करोगे लोगों में..... वाह वाह 

हार्दिक बधाई 

सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 2, 2015 at 1:59pm

वाह! आ० हार्दिक बधाई! बहुत सुन्दर गज़ल हुयी है! गज़ल पर आपका प्रयास रंग ला रहा है!बधाई

मेरे जाने के बाद मुद्दत तक
मेरा रास्ता तकोगे लोगों में     यह शेर बहुत पसंद आया! बेहतरीन

बस एक चूक हो गयी है...रास्ता का वजन २१२ होगा!

रास्ता को रस्ता कर लेना क्या उचित रहेगा? गुनीजनो से मार्गदर्शन निवेदित है!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
7 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service