For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : हमारा प्यार आँखों से अयाँ हो जायगा एक दिन

हमारा  प्यार आँखों से अयाँ हो जाएगा इक  दिन 

छुपाना लाख चाहोगे बयाँ हो जाएगा इक दिन 

ये सब वहशत-ज़दा रातें इसी उम्मीद में गुज़रीं 

कि तुम आओगे , रौशन ये  समां हो जाएगा इक दिन 

न टूटे दिल  , न तन्हा रात , न भीगी  हुई पलकें 

मगर सब छीन कर बचपन,जवां हो जाएगा इक दिन 

तुम्हारे सुर्ख होठों की महक में ऐसा जादू है 

कि भवरों को भी फूलों का गुमाँ हो जाएगा इक दिन 

लिखो बस  गीत उल्फ़त के और नग्मे प्यार के गाओ 

 हमारा मुल्क  सपनों का जहाँ हो जाएगा इक दिन 

''मौलिक एवं अप्रकाशित'' 

Views: 788

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on July 5, 2015 at 2:01am

सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकारें

प्राप्त सुझाव पर गौर फरमाएं तो दोष दूर हो जायेगा
एक सुझाव यह भी है कि, और को १ मात्रा अनुसार नहीं बाँधा जा सकता है

Comment by MAHIMA SHREE on July 2, 2015 at 9:18pm

लिखो बस  गीत उल्फ़त के और नग्मे प्यार के गाओ 

 हमारा मुल्क  सपनों का जहाँ हो जाएगा इक दिन ...लाजबाव..क्या कहने हैं...

Comment by maharshi tripathi on July 2, 2015 at 5:18pm

लिखो बस  गीत उल्फ़त के और नग्मे प्यार के गाओ 

 हमारा मुल्क  सपनों का जहाँ हो जाएगा इक दिन ,,,बहुत सुन्दर |

Comment by Pari M Shlok on July 2, 2015 at 9:19am
न टूटे दिल , न तन्हा रात , न भीगी हुई पलकें
मगर सब छीन कर बचपन,जवां हो जाएगा इक दिन

बहुत उम्दा
Comment by Rahul Dangi Panchal on July 2, 2015 at 8:09am
आदरणीय बहुत सुन्दर गजल हुई है । आदरणीय मिथिलेश जी से मैं सहमत हूं आप भी गौर करना।

न टूटे दिल , न तन्हा रात , न भीगी हुई पलकें। यह मिसरा बेबहर है पुन: देखे अगर आपने न को ना पढा है तो गजल में ना शब्द मान्य नहीं है । जैसा कि मैंनें गुनीजनों से सुना है। सादर।
Comment by Shyam Narain Verma on July 1, 2015 at 5:03pm
क्या बात है .... बहुत उम्दा | बधाई आप को 
Comment by Sushil Sarna on July 1, 2015 at 3:32pm

न टूटे दिल , न तन्हा रात , न भीगी हुई पलकें
मगर सब छीन कर बचपन,जवां हो जाएगा एक दिन

वाह बहुत खूबसूरत अहसास पिरोये हैं आपने प्रस्तुत ग़ज़ल में … हार्दिक बधाई आदरणीय saalim sheikh  जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 1, 2015 at 2:22pm

आदरणीय सलीम भाई जी,

बह्र-ए-हजज़ में बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं 

ग़ज़ल की रदीफ़ 'हो जाएगा एक दिन' में एक को इक किया जाए तो मिसरा बेबह्र नहीं होगा. यद्यपि उर्दू में संभवतः छोटी ए बड़ी ए होने के कारण आपने ऐसा किया हो किन्तु देवनागरी में ग़ज़ल पढ़ते हुए मिसरा थोड़ा बेबह्र लग रहा है. 

एक निवेदन है कृपया ग़ज़ल में बह्र का वज्न अवश्य लिखें ताकि पाठक रचना का पूरा आनंद ले सके. 

सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 1, 2015 at 7:40am

बहुत बढ़िया . सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service