For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंतर्द्वंद ( लघुकथा )


" दिमाग ख़राब हो गया है इस लड़की का ", मम्मी बुरी तरह परेशान थीं । इतना अच्छा घर और वर था फिर भी मना कर दिया । अपने आप को कोस रही थीं कि क्यों सब बता दिया उसको ।
" आपको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता , इतने अस्पृह कैसे रह सकते हैं आप लोग "।
" अरे , घर में कौन काम करता है , इसमें तुम्हे क्या दिक़्क़त है "।
" माँ , जो इंसान अपने घर में एक बच्चे के काम करने पर इतना संवेदनहीन हो सकता है , वो मेरे प्रति संवेदनशील रह पायेगा "?
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 650

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on June 25, 2015 at 10:07pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथलेश वामनकर जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 3:55am

सफल और  सशक्त लघुकथा। इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई, आदरणीय विनय जी।

Comment by विनय कुमार on June 17, 2015 at 11:58pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय ओम प्रकाश जी , सादर धन्यवाद ..

Comment by Omprakash Kshatriya on June 17, 2015 at 6:30pm

आदरणीय विनयकुमार जी ,

आप ने कम शब्दों माँ बहुत कुछ कह दिया है . चावल की हांड़ी से एक ही चावल देखा जाता है , उसी से सरे चावल के बारे में पता चल जाता है . आप की लघुकथा इसी को सार्थक करती है.

बधाई आप को .

Comment by विनय कुमार on June 17, 2015 at 4:14pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी , कहानी के मर्म तक आप पहुंचे , शुक्रिया..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 17, 2015 at 3:02pm

बहुत ही उम्दा रचना है ..चावल पका है की नहीं सिर्फ एक दाना ही देखा जाता है ..जिसके दिल में संवेदना न हो वो मनुष्य दूसरो की इज्जत करेगा इसमें संसय ही है ..इस रचना के लिए ह्रदय से बधाई सादर 

Comment by विनय कुमार on June 16, 2015 at 9:35pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर जी.

Comment by vijay nikore on June 16, 2015 at 6:34pm

सुन्दर सशक्त लघु कथा। हारदिक बधाई, आदरणीय विनय जी।

Comment by विनय कुमार on June 16, 2015 at 2:21pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 16, 2015 at 1:44pm

बालश्रम  जो संवेदन हीनता से जन्मा एक अपराध है जिसके खिलाफ सरकार भी जागरूक करती रहती है लघु कथा के मर्म में अच्छे विषय ने स्थान पाया है लड़की समझदार है ..बहुत अच्छा सन्देश/प्रेरणा  देती हुई सफल लघु कथा हेतु हार्दिक बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service