For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उंगली में चुनरी लिपटी है दांतों से दबे ओंठ

2212  1212  221  122

दर्पण को देख हुस्न यूं शर्माने लगा है 

लगता खुमारे इश्क उस पे छाने लगा है 

उंगली में चुनरी लिपटी है दांतों से दबे ओंठ 

इक  दिल धड़क धड़क के नगमे गाने लगा है

 

जगते हैं पहरेदार भी आँखों के निशा में 

ख्वावो में उनके जबसे कोई आने लगा है

 

रुक-रुक के सांस चलती है नजरों  में उदासी 

सीने से दिल निकल के जैसे जाने लगा है 

कलियों के साथ देख के भंवरों को वो तन्हा 

कुछ कुछ समझ में माजरा ये आने लगा है

 

कितनी दफा ही आ चुका सावन का महीना 

क्यूँ इस दफा गुलों को यूंँ बहकाने लगा है 

जूही गुलाब चंपा से  जूडा यूंँ   सजाकर

इक गुल हसीं फिजा को ही महकाने लगा है

जुल्फें जो हुस्न ने कभी बांँधी थी जतन से

जुल्फे बही  हवा में क्यूँ लहराने लगा है

मौलिक व अप्रकाशित  

Views: 830

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2015 at 8:49pm

आपके ही अंदाज़ की ग़ज़ल हुई है, आदरणीय आशुतोष जी.

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 2:43am

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, बेहतरीन और ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है दिल से दाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 17, 2015 at 11:09am

प्रिय कृष्णा जी ..रचना पर आपकी स्नेहिल उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 17, 2015 at 11:02am

आदरणीय समर कबीर जी ..मेरी हर रचना को आपका स्नेह और मार्गदर्शन मिलता है इससे मुझे और मुझ जैसे नए लिखने वालों को बहुत सम्यक जानकारी हासिल होती है ..मैं आपके मार्गदर्शन के अनुरूप संसोधन का प्रयास करूंगा ..ह्रदय से धन्यवाद के साथ सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 14, 2015 at 8:54pm

बेहतरीन मतला के साथ सुन्दर गज़ल हुयी है आ० आशुतोष सर!हार्दिक बधाई!

Comment by Samar kabeer on June 12, 2015 at 3:25pm
जनाब डॉ आशुतोष मिश्रा जी,आदाब,अच्छी और ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिये दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

"तय दिल धड़क धड़क के नगमे गाने लगा है"

इस मिसरे की लय में रूकावट महसूस हो रही है ,देख लीजियेगा ।

"कितने दफा ही आ चुका सावन का महीना
क्यूँ इस दफा गुलों को यूं बहकाने लगा है"

दफ़ा स्त्रीलिंग है इसलिये ऊला मिसरे में कितने की जगह कितनी करना उचित होगा ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 12, 2015 at 1:37pm

आदरणीया कांता जी ..रचना आपको पसंद आयी .मेरा प्रयास सार्थक हुआ ..आपकी उर्जा प्रदान करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 12, 2015 at 1:35pm

आदरणीय नरेन्द्र जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 12, 2015 at 1:34pm

आदरणीय गोपाल सर ..आपके आशीर्वाद से मन गदगद हो गया आपके स्नेह से ही ये सब संभव हो पाता है सादर प्रणाम के साथ 

Comment by kanta roy on June 11, 2015 at 10:31pm
रुक-रुक के सांस चलती है साँसों में उदासी 
सीने से दिल निकल के जैसे जाने लगा है.......
हर एक शेर लाजवाब बनी है ....... पूरे गजल में जैसे खुमार चढी है .......वाह !!! क्या बात है आदरणीय डा. आशुतोष मिश्रा जी .... पढकर हम भी लाजवाब हो गये है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
12 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी,आपकी टिप्पणी और प्रतिक्रिया उत्साह वर्धक है, मेरा प्रयास सफल हुआ। हार्दिक धन्यवाद…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service