For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - फिल बदीह --- फिर उसी रह गुज़र गया कोई ( गिरिराज भंडारी )

2122  1212   22  / 112

  

"क्या ज़माने से डर गया कोई
एह्द क्यूँ तोड़ कर गया कोई"

ख़्वाब मेरे कुतर गया कोई

फिर नज़र से उतर गया कोई

 

दावा पत्थर का था , मगर गिर के

शीशे जैसे बिखर गया कोई

 

तेरे वादे पे ऐतबार किया

यानी बे मौत मर गया कोई

 

बाइसे बे वफाई जान तो ले     -- कारण 

क्यों वफा से मुकर गया कोई

 

एक इनकार तेरी सुन कर ही

देख कितना बिखर गया कोई

 

तेरे अल्फाज़ थे या जादू था

सुन के कितना सँवर गया कोई

 

है जहाँ फानी , तू पलक झपका

और याँ से ग़ुज़र गया कोई

 

इस तरफ है कुआँ , उधर खाई

फिर उसी रह गुज़र गया कोई

 

वक़्त की मार जब पड़ी यारों

देखो कितना सुधर गया कोई"

 

कुछ तो लूटा ही होगा शहरों ने

"गाँव क्यूँ लौट कर गया कोई" ?

*************************** 

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

 

Views: 795

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 3, 2015 at 9:38am

आदरणीय सौरभ भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 3, 2015 at 9:38am

आदरणीय राहुल भाई , सराहना के लिये आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 3, 2015 at 9:37am

आदरणीय मिथिलेश भाई ,हौसला अफज़ाई का शुक्रिया ।

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 3, 2015 at 9:19am
क्या बात है आदरणीय बाउंड्री पर बाउंड्री मार रहे हो

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2015 at 2:42am

इस अच्छी ग़ज़ल केलिए दिल से दाद लीजिये आदरणीय गिरिराजभाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 2:37am

आदरणीय गिरिराज सर बढ़िया फ़िल बदीह ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद हाज़िर है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2015 at 5:35am

आदरणीय विनय भाई , हौसला अफज़ाई का बेहद शुक्रिया ।

Comment by विनय कुमार on June 14, 2015 at 9:02pm

// कुछ तो लूटा ही होगा शहरों ने
"गाँव क्यूँ लौट कर गया कोई" // . वाह बेहतरीन ग़ज़ल हुई है आदरणीय , दिली बधाई..

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 14, 2015 at 8:35pm

लाजव़ाब लाजव़ाब लाजव़ाब! हर शेर गज़ब हुए  हैं! मुकम्मल गजल हुयी है आ० गिरिराज सर अभिनन्दन!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 14, 2015 at 9:38am

आदरणीय श्री सुनील भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका  आभारी हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service