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ग़ज़ल - फिल बदीह --- फिर उसी रह गुज़र गया कोई ( गिरिराज भंडारी )

2122  1212   22  / 112

  

"क्या ज़माने से डर गया कोई
एह्द क्यूँ तोड़ कर गया कोई"

ख़्वाब मेरे कुतर गया कोई

फिर नज़र से उतर गया कोई

 

दावा पत्थर का था , मगर गिर के

शीशे जैसे बिखर गया कोई

 

तेरे वादे पे ऐतबार किया

यानी बे मौत मर गया कोई

 

बाइसे बे वफाई जान तो ले     -- कारण 

क्यों वफा से मुकर गया कोई

 

एक इनकार तेरी सुन कर ही

देख कितना बिखर गया कोई

 

तेरे अल्फाज़ थे या जादू था

सुन के कितना सँवर गया कोई

 

है जहाँ फानी , तू पलक झपका

और याँ से ग़ुज़र गया कोई

 

इस तरफ है कुआँ , उधर खाई

फिर उसी रह गुज़र गया कोई

 

वक़्त की मार जब पड़ी यारों

देखो कितना सुधर गया कोई"

 

कुछ तो लूटा ही होगा शहरों ने

"गाँव क्यूँ लौट कर गया कोई" ?

*************************** 

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 3, 2015 at 9:38am

आदरणीय सौरभ भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 3, 2015 at 9:38am

आदरणीय राहुल भाई , सराहना के लिये आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 3, 2015 at 9:37am

आदरणीय मिथिलेश भाई ,हौसला अफज़ाई का शुक्रिया ।

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 3, 2015 at 9:19am
क्या बात है आदरणीय बाउंड्री पर बाउंड्री मार रहे हो

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2015 at 2:42am

इस अच्छी ग़ज़ल केलिए दिल से दाद लीजिये आदरणीय गिरिराजभाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 2:37am

आदरणीय गिरिराज सर बढ़िया फ़िल बदीह ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद हाज़िर है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2015 at 5:35am

आदरणीय विनय भाई , हौसला अफज़ाई का बेहद शुक्रिया ।

Comment by विनय कुमार on June 14, 2015 at 9:02pm

// कुछ तो लूटा ही होगा शहरों ने
"गाँव क्यूँ लौट कर गया कोई" // . वाह बेहतरीन ग़ज़ल हुई है आदरणीय , दिली बधाई..

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 14, 2015 at 8:35pm

लाजव़ाब लाजव़ाब लाजव़ाब! हर शेर गज़ब हुए  हैं! मुकम्मल गजल हुयी है आ० गिरिराज सर अभिनन्दन!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 14, 2015 at 9:38am

आदरणीय श्री सुनील भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका  आभारी हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

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