For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्याह धब्बा

ढलते सूरज-से रिश्ते की बुझती लालिमा

सिकुड़ती सिमटती जा रही

अनकही बातों के अरमानों की

अप्राकृतिक अकुलाहट

अपने ही कानों में भयानक

दुर्घटना-सी

अमावस-सी अँधियारी कसकती रात

डरता है व्याकुल बेसुध मन

कि अब तुम नहीं हो पास

बहता है दुख

बेचैन बदनसीब रिश्ता ...

अब स्याह धब्बे-सा

--------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 813

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on November 9, 2016 at 6:40am

// रिश्तों के मर्म और बिछोह सी स्थिति में होने और होने जैसे की पीड़ा को अभिव्यक्त करती गहन पंक्तियाँ शाब्दिक हुई है //

हृदयतल से आपका आभार, आदरणीय मिथिलेश जी। इतने समय से मैंने यहाँ आभार प्रकट नहीं किया, अत: क्षमाप्रार्थी हूँ। 

Comment by vijay nikore on November 9, 2016 at 6:37am

// आकुल मन की हताशा हो या प्रेम के उत्कट आवेग से उपजी आंतरैक पीड़ा, आपसे शब्द पा कर मानो जीवित हो उठते हैं //

आपसे मिली सराहना से मेरा मनोबल बढ़ता है, और मैं आभारी हूँ आदरणीय भाई सौरभ जी। मुझको बहुत खल रहा है कि इतने समय से मैंने यहाँ आभार प्रकट नहीं किया। क्षमाप्रार्थी हूँ। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 16, 2015 at 2:45am

आदरणीय विजय निकोर सर, रिश्तों के मर्म और बिछोह सी स्थिति में होने और होने जैसे की पीड़ा को अभिव्यक्त करती गहन पंक्तियाँ शाब्दिक हुई है. बहुत बहुत बधाई इस सशक्त रचना के लिए.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 5, 2015 at 12:14am

आकुल मन की हताशा हो या प्रेम के उत्कट आवेग से उपजी आंतरैक पीड़ा, आपसे शब्द पा कर मानो जीवित हो उठते हैं, आदरणीय विजय निकोर साहब.
हृदय से बधाई लीजिये इस गहन मनोदशा की सान्द्र अभिव्यक्ति पर.
सादर

Comment by vijay nikore on June 24, 2015 at 10:12am

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय विनय कुमार सिंह जी।

Comment by vijay nikore on June 21, 2015 at 1:25pm

//सुंदर काव्य जो भावनाओ को अंत:करण तक झकझोरती चली जाती है//

इस भावना से मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय केवल प्रसाद जी।

Comment by vijay nikore on June 21, 2015 at 1:22pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया कांता जी।

Comment by vijay nikore on June 17, 2015 at 10:18pm

आपका स्नेह और प्रोत्साहन मेरी अमूल्य निधि है, आदरणीय भाई शर्दिन्दु जी। आभारी हूँ।

Comment by vijay nikore on June 17, 2015 at 4:40pm

आदरणीय समर कबीर जी,  रचना पर पंक्ति दर पंक्ति दाद देने के लिए आपका हार्दिक आभार।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 17, 2015 at 2:05pm

आदरणीय विजय सर ..आपकी रचनायें बहुत गंभीर होती हैं ..सोच को नए आयाम देती इस शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी कोशिशों पर तो हम मुग्ध हैं, शिज्जू भाई ! आप नाहक ही छंदों से दूर रहा करते हैं.  किसको…"
39 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा आधारित एक रचना: प्यास बुझाएँगे सदा सूरज दादा तुम तपो, चाहे जितना घोर, तुम चाहो तो तोड़ दो,…"
46 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, सदा की भाँति इस बार भी आपकी रचना गहन भाव और तार्किक कथ्य लिए हुए प्रस्तुत…"
50 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रदत्त चित्र को सार्थक दोहावली से आयोजन का शुभारम्भ हुआ है.  तन…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पैसा है तो पीजिए, वरना रहो अधीर||...........वाह ! वाह ! लाख टके की बात कह दी है आपने.…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय शिज्जु शकूर जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर दोहे रचे हैं आपने. सच है यदि धूप न हो…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत दोहों की सराहना के लिए आपका हृदय…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार. आपकी…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  जी ! भाई लक्ष्मण धामी जी आप जो कह रहे हैं मन के मार्फ़त या दिल के मार्फ़त उस बात को मैं समझ…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुसार उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस सार्थक दोहावली के लिए| दोपहर और …"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  हार्दिक बधाई इस सार्थक दोहावली के लिए| तन-मन ये मन  से …"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service