For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फूल और काँटा

     

एक वृक्ष  की  दो  संताने  तू  गुलाब  मैं काँटा  

जो  तुझको  फुसलाता  है  मैं धर देता हूँ चाँटा  

 

तितली भ्रमर और मधुमक्खी सब  मुझसे थर्राते

मेरे डर  से पास  तुम्हारे  आने  में  भय खाते

 

वन-कानन का पशु भी कोई परस नहीं कर पाता

मणिधर भी  तेरी  सुगंध को  लेने  से घबराता

 

हाथ बढ़ाता  यदि कोई  तो  मैं उसको डस लेता

पवन किन्तु बहलाकर मुझको कुछ तेरा रस लेता

 

सभी जीव तो  हैं  अवश्य रस-परिमल के दीवाने

पर निर्मम  मानव  का अंतर  इतने से ना माने

 

छिन्न तुझे पादप से करने की  उसकी अभिलाषा

मैं  पढ़ लेता हूँ  कदर्य के  पापी मन  की भाषा

 

पर  पापी  मानव पर मेरा  कोई जोर न चलता

वह अपनी दुर्दम्य लालसा से  जगती को छलता

 वस्त्र फाड़ कर यद्यपि उसको मैं घायल कर देता

नोक –भोंक को सहकर भी वह है तुझको हर लेता

 

देह छेद कर  तेरी फिर वह  धारण करता माला

देवों के  विग्रह पर  भी तू  असहज जाता डाला  

 

तेरे गुच्छ -माल का अर्पण मानव शव पर करते

फेंक राह पर निष्ठुरता से  चरण उसी पर धरते

 

टूट-टूट कर जीवन भर  तूने निज परिमल बाँटा   

अस्तु सुमन पाटल कहलाया  मैं काँटे का काँटा   

(मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 866

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 6, 2015 at 12:35pm

आ० मोहन सेठी जी

बलिहारी हूँ . सादर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 6, 2015 at 12:34pm

समीर कबीर साहेब

आदाब , शुक्रिया .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 6, 2015 at 12:33pm

आ० श्याम नारायन  जी

आपका शुक्रिया .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 6, 2015 at 12:32pm

प्रिय कृष्णा

अनुगृहीत हूँ .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 6, 2015 at 12:31pm

आओ विनय जी

सादर आभार .

Comment by narendrasinh chauhan on June 6, 2015 at 10:36am

बेहद खूबसूरत

Comment by maharshi tripathi on June 5, 2015 at 8:03pm

वाह ,,बेहद खूबसूरत आ. डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी ,,आपकी लिखनी सचमुच कहर ढा रही है ,,आपके अनुज का आपको प्रणाम |

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 5, 2015 at 4:29pm

फूल और कांटे की व्यथा खूब सुंदर शब्दों में पिरोई आपने ...सादर 

Comment by Samar kabeer on June 5, 2015 at 4:14pm
आली जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब,सुन्दर भावों से सजी इस रचना के लिये हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Shyam Narain Verma on June 5, 2015 at 3:51pm
बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
43 minutes ago
Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
10 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service